टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन ने एनएस ग्रेड को किया खारिज, अध्यक्ष व महामंत्री समझौता के लिए अधीकृत, स्थायीकरण की परंपरा रहे कायम, कमेटी मीटिंग में लिया गया फैसला

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टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के कमेटी मीटिंग में मौजूद पदाधिकारी.


जमशेदपुर : टाटा मोटर्स कर्मियों को बोनस के दौरान होने वाले स्थायीकरण की परंपरा कायम रहनी चाहिए. यह परंपरा नहीं टूटना चाहिए. यह कहना था टाटा मोटर्स वर्कर्स यूनियन के तमाम कमेटी मेंबरों का. गुरुवार को बोनस व ग्रेड रिवीजन को लेकर टाटा वर्कर्स यूनियन कार्यालय में कमेटी मेंबरों की एक बैठक बुलाई गई थी, जिसमें प्रबंधन के साथ हुई बैठक तथा दिए गए प्रस्ताव पर चर्चा हुई. इस बैठक में ऑफिस बियरर्स के साथ-साथ कमेटी मेंबर मौजूद थे. अधिकांश कमेटी मेम्बरों ने अपने सुझाव देते हुए कहा कि पिछले साल से बेहतर बोनस इस बार होना चाहिए. पिछले साल वर्ष 2018-19 कंपनी में उत्पादन की दृष्टि से बहुत ही बेहतर था. गाड़ियों के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई थी. यहां तक कि कई महीनों तक 11-12 हजार वाहनों का उत्पादन हुआ जबकि मंदी वर्ष 2019-20 में आई है. इसलिए बोनस बेहतर होना चाहिए. साथ ही बोनस के दौरान हर साल होने वाले स्थायीकरण की परंपरा जारी रहना चाहिए. यह परंपरा नहीं टूटनी चाहिए. कर्मचारियों को इस पर आस लगी रहती है. यही मौका होता है जब कर्मचारी स्थायी होते है.

कमेटी मीटिंग में मौजूद कमेटी मेंबर.

एनएस ग्रेड को सिरे से किया खारिज
बोनस के अलावा कमेटी मेंबरों ने होने वाले ग्रेड पर भी अपने सुझाव दिए. यूनियन अध्यक्ष गुरमीत सिंह तोते की अध्यक्षता में हुए इस बैठक के दौरान अधिकांश कमेटी मेंबरों ने बोनस के साथ ही ग्रेड रिवीजन पर भी अपनी बातें रखी. टाटा स्टील की तर्ज पर बनाए गए एनएस ग्रेड को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि आगामी वर्षों में होने वाले स्थायीकर्मियों के वेतन में काफी कमी हो जाएगी, जिसका नुकसान उनके आर्थिक बोझ पड़ेगा. कर्मचारियों में इसको लेकर नाराजगी है. वही अधिक कमेटी मेंबरों ने कहा कि अध्यक्ष व महामंत्री पर हमें पूरा विश्वास है वे सक्षम पदाधिकारी हैं. उचित निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हैं.

कमेटी मीटिंग के दौरान मौजूद सारे पदाधिकारी व कमेटी मेंबर.

बैठक का हो सामान तभी करे वार्ता
कमेटी मेंबरों ने कहा कि कमेटी मीटिंग में लिए गए निर्णय की बातों से प्रबंधन को अवगत करा दिया जाए. अगर वह इस निर्णय को सम्मान करते हैं और प्रबंधन अपने निर्णय पर दोबारा विचार करते हुए यूनियन के निर्णय को सम्मान देती हैं, तभी जाकर वार्ता हो वरना समझौता के लिए कोई हड़बड़ी नहीं है. समझौता भले ही देरी हो, लेकिन बेहतर हो. बैठक के दौरान मुख्य रूप से महामंत्री आरके सिंह, अजय भगत, रणविजय सिंह, लवी शर्मा समय काफी संख्या में ऑफिस बेसरर्स व कमेटी में पर मौजूद थे. 

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