जमशेदपुर : टाटा स्टील में वेज रिवीजन समझौता लटक गया लगता है. वैसे मैनेजमेंट चाहती है कि वेज रिवीजन और बोनस का समझौता एक साथ हो जाये. लेकिन अब यह उम्मीद जतायी जा रही है कि कर्मचारियों को पहले बोनस मिल जायेगा, उसके बाद वेज रिवीजन समझौता अलग से होगा. इसको लेकर पहले से फार्मूला तय हो चुका है. इसके तहत अब तक के निकाले गये जानकारों के आंकड़ों के मुताबिक, कर्मचारियों को ज्यादा बोनस मिलेगा. बोनस की राशि चूंकि प्रतिशत के आधार पर नहीं तय होता है, इस कारण इस बार संभव है कि 230 करोड़ रुपये बोनस के मद में मिलने वाली है. करीब 29 हजार कर्मचारियों के बीच यह राशि बांटी जायेगी. पिछले साल कर्मचारियों के बोनस के मद में तय फार्मूला के तहत 203.24 करोड़ रुपये ही मिली थी. ऐसे में यह अनुमान लगाया जा सकता है कि सात से दस हजार रुपये ज्यादा बोनस कर्मचारियों को इस बार हर ग्रेड में ज्यादा मिलेगा. कंपनी के वित्तीय परिणामों के अध्ययन से यह पता चलता है कि इस बार करीब 230 करोड़ रुपये बोनस की राशि होगी. न्यूनतम राशि पिछले बार जहां 26103 रुपये था, जो इस बार करीब 36 हजार रुपये हो सकता है जबकि अधिकतम 1 लाख 99 हजार 723 रुपये पिछले साल, जो इस साल बोनस की राशि ढाई लाख रुपये तक जा सकती है, जो उच्चतम ग्रेड वाले को मिलेगा. वैसे आपको यह बता दें कि टाटा स्टील में सर्वोच्च बोनस पाने वाले सीआरएम के कर्मचारी जीएन राय इस साल रिटायर हो चुके है, वैसे पिछले साल के वनस्पत उनको इस बार भी कुछ राशि जरूर मिल सकता है.
2018 की तुलना में 2019 में कैसे बेहतर होगा बोनस :
- मुनाफा का 1.5 फीसदी मिला था-कंपनी का मुनाफा वित्तीय वर्ष 2017-2018 में 6682.49 करोड़ था, जिसके बदले 100.24 करोड़ रुपये मिला था जबकि 2018-2019 में कुल मुनाफा कंपनी का 9098 करोड़ रुपये हुआ है, जिस पर 1.5 फीसदी के हिसाब से यह राशि, 157.99 करोड़ रुपये हो सकता है
- सेलेबल स्टील यानी बिक्री योग्य स्टील पर 5461 करोड़ रुपये प्रति टन के बदले बोनस के मद में 36.5 करोड़ रुपये मिला था
- कर्मचारियों की उत्पादकता 475.1 प्रति कर्मचारी प्रति टन का हिसाब था, जिस पर 57.5 करोड़ रुपये मिला था. इस बार के परिणाम के मुताबिक, कर्मचारियों की उत्पादकता वित्तीय वर्ष 2018-2019 में जमशेदपुर प्लांट में 748 टन प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष है जबकि टाटा स्टील के कलिंगानगर प्लांट में प्रोडक्टिविटी वित्तीय वर्ष 2018-2019 में 1054 टन प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष है.
- सेफ्टी के मद में कंपनी की ओर से तय फार्मूला के आधार पर 5 करोड़ रुपये की राशि मिली थी. कोई ऐसी बड़ी दुर्घटना कंपनी में नहीं घटी है. हालांकि, एक फैटल होने से इस मद में नुकसान हो सकता है
- पिछले बार पीएम ट्राफी पर चार करोड़ रुपये मिला था. अगर यूनियन प्रयास करेगी तो यह राशि फिर से मिल सकता है.