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Chaibasa-special-court-Decision: कदमा थाना हाजत से समर्थकों को भगाने में पूर्व सीएम रघुवर समेत 6 भाजपा नेता बरी चाईबासा की विशेष अदालत ने सुनाया फैसला

राशिफल

जमशेदपुर: कदमा थाना हाजत से अपने समर्थको फरार कराने के मामले में आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास तथा अन्य भाजपा नेताओं को चाईबासा स्थित एमपी-एमएलए विशेष अदालत ने गुरुवार को बरी कर दिया.अदालत में इस मामले में चली गवाही और दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज विशेष अदालत ने अपने फैसले में साक्ष्य के अभाव में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ साथ आरोपी बनाए गए सभी नेताओं को बाइज्जत बरी कर दिया. उसके बाद कोर्ट से बाहर निकलने पर भाजपाइयों ने जश्न भी मनाया.
ये हुए बरी
इस मामले में रघुवर दास के साथ राजकुमार सिंह, कुलवंत सिंह बंटी, विनोद सिंह, देवेंद्र सिंह, रामबाबू तिवारी, राजहंस तिवारी, मुकुल मिश्रा, विकास सिंह, नंदजी प्रसाद, राजीव नंदन सिंह, अजीत सिंह, ललन द्विवेदी, देवानंद झा, सुबोध श्रीवास्तव, बटेश्वर पांडेय, सुधांशु ओझा, उमेश सिंह, भुवनेश्वर सिंह, राजकुमार राय तथा राजेश सिंह को आरोपी बनाया गया था, जो बरी हो गए.
मंदिर निर्माण को ले हुए विवाद ने सांप्रदायिक रुप लिया था
अधिवक्ता प्रभात शंकर तिवारी एवं चंद्रभूषण ओझा बचाव पक्ष के अधिवक्ता प्रभात शंकर तिवारी ने बताया कि वर्ष 2007 में कदमा थाना क्षेत्र के शास्त्रीनगर में मंदिर निर्माण को लेकर दो पक्षों के बीच विवाद ने सांप्रदायिक रुप ले लिया था. इस मामले में कदमा पुलिस ने भाजपा नेता सुधांशु ओझा सहित उमेश सिंह, भुवनेश्वर सिंह, अशोक तिवारी, राजेश सिंह, एवं राजकुमार राय को गिरफ्तार कर लिया. सभी को थाना लाया गया. इसकी जानकारी जमशेदपुर पूर्वी के तात्कालीन विधायक रघुवर दास को होने के बाद उनके नेतृत्व में कदमा थाना में जमावड़ा लगा. इस दौरान पुलिस हिरासत से सभी आरोपी भाग गए.
प्राथमिकी तात्कालीन पुलिस पदाधिकारी राजीव कुमार ने दर्ज की
इस मामले की प्राथमिकी तात्कालीन पुलिस पदाधिकारी राजीव कुमार ने दर्ज की. सभी के खिलाफ धारा 147, 149, 447, 353, 153 एवं 153ए के तहत चार्जशीट जमा किया गया. लेकिन अदालत में पुलिस गिरफ्तारी मेमो नहीं जमा कर सकी. जिससे साबित हो कि सभी आऱोपियों को पुलिस की हिरासत से भगाया गया था. वहीं अभियोजन के कई गवाहों ने भी इसकी पुष्टि नहीं की. जिसका लाभ सभी आऱोपियों को मिला. इस मामले की सुनवाई जमशेदपुर के एसडीजेएम रंजय कुमार की अदालत में चल रहा था. वचाव पक्ष के वरीय अधिवक्ता चंद्रभूषण ओझा ने भी पैरवी की.

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