रांची : झारखंड लोक सेवा आयोग ( जेपीएससी) की परीक्षाएं पहले से ही विवादों में रही है. अब छठी जेपीएससी के मेरिट लिस्ट को खारिज कर नई मेरिट लिस्ट जारी करने के आदेश के खिलाफ कैंडिडेट्स ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है. जिसमें एकल पीठ के आदेश को गलत बताते हुए निरस्त करने की गुहार लगाई गई है. इसके साथ ही याचिका में कहा गया है कि छठी जेपीएससी के मेंस एग्जाम में पेपर वन (हिंदी व अंग्रेजी) का मार्क्स टोटल मार्कस् में जोड़ा जाना सही है. इसके अलावा कैंडिडेट्स को प्रत्येक पेपर में चालीस परसेंट मार्क्स नहीं लाना था बल्कि टोटल मार्क्स 40 परसेंट लाना अनिवार्य था. इसी आधार पर जेपीएससी ने मेंस एग्जाम के बाद मेरिट लिस्ट जारी की थी. इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है. इसलिए एकल पीठ के आदेश को निरस्त किया जाए. 42 सेलेक्टेड कैडिडेट्स की ओर से एडवोकेट सुमित गड़ोदिया और अर्पण मिश्रा ने 49 कैंडिडेट्स की ओर से अपील याचिका दाखिल की है. याचिका में यह भी कहा गया है कि जब कोई अभ्यर्थी एक बार नियुक्ति परीक्षा में शामिल हो जाता है, वह नियुक्ति पर सवाल नहीं उठा सकता. हालांकि अभी तक न तो राज्य सरकार और न ही जेपीएससी की ओर से एकल पीठ के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की गई है.
ब्लैक फंगस रोगी की मौत के बाद हाई कोर्ट सख्त- कहा- पैसा उगाही की मशीन बन चुके हैं अस्पताल
रांचीः ब्लैक फंगस से पीड़ितों के इलाज से जुड़ी जनहित याचिका पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की तरफ से उपस्थित महाधिवक्ता राजीव रंजन ने चीफ जस्टिस डॉ रविरंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ को बताया, कि ब्लैक फंगस से निपटने के लिये राज्य सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं.सरकार के स्तर से उन सभी दवाईयों को मरीजों को निःशुल्क उपलब्ध कराई जा रही है, जिसकी उन्हें जरूरत है. इससे निपटने के लिए एसओपी भी तैयार की गई है. अब तक 160 मामले सामने आए हैं. 101 प्रूफ केस हैं और 59 सस्पेक्टेड. रिम्स में एक्सपर्ट डॉक्टरों की टीम ब्लैक फंगस से पीड़ितों के इलाज के लिए बनाई गई है. महाधिवक्ता का पक्ष सुनने के बाद चलती सुनवाई के दौरान रिम्स निदेशक को भी कोर्ट ने तलब किया.अदालत ने रिम्स निदेशक से पूछा कि ब्लैक फंगस की बीमारी से इलाजरत जिस महिला के मामले में कोर्ट ने निर्देश दिया था, उसका क्या हुआ? रिम्स निदेशक ने कोर्ट को बताया कि सर्जरी के बाद उस महिला की मृत्यु हो गयी. जिसपर अदालत ने पूछा कि वह महिला कब भर्ती हुई थी? रिम्स निदेशक ने बताया कि लगभग एक माह पूर्व वह महिला रिम्स आयी थी. रिम्स निदेशक का जवाब सुनकर अदालत ने कहा कि सर्जरी में इतनी देर क्यों हुई ? कोर्ट ने कहा कि कोरोना में डॉक्टरों ने काफी अच्छा काम किया. लेकिन इस मामले में मरीज की अनदेखी की गई, हर जान कीमती होती है. हम इस मामले की जांच चाहते हैं.
जिस मामले की निगरानी हाई कोर्ट कर रहा है, तो भवन निर्माण के सचिव ने संवेदक को कैसे टर्मिनेट का नोटिस दिया
रांचीः झारखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में सदर अस्पताल को लेकर दाखिल अवमानना मामले में सुनवाई की. इस दौरान अदालत ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि जब इस मामले की निगरानी हाईकोर्ट कर रहा है. तो भवन निर्माण विभाग के सचिव के द्वारा संवेदक को टर्मिनेट करने का नोटिस कैसे दिया गया? राज्य सरकार इस मामले में खुद अवमानना में है. क्योंकि उनकी ओर से दिसंबर 2018 में रांची सदर अस्पताल में सारी सुविधाओं के साथ 500 बेड चालू करने का आश्वासन दिया गया था. लेकिन अभी तक वह काम पूरा नहीं हो पाया है. कोर्ट ने कहा कि अदालत के प्रयास से अब तक 85 प्रतिशत काम पूरा हुआ है. लेकिन टर्मिनेशन नोटिस की प्रक्रिया देखकर ऐसा लगता है कि सरकार इस काम में अड़ंगा डालना चाह रही है. अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि टर्मिनेशन की प्रक्रिया देखकर ऐसा लग रहा है कि सुनवाई को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है.हाईकोर्ट ने इस बात पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि सदर अस्पताल का सारा काम 2018 के अंत तक हो जाना चाहिए था. लेकिन अब तक काम पूरा नहीं हुआ. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भवन निर्माण विभाग के सचिव को वीसी के जरिये सुनवाई में उपस्थित होने का निर्देश दिया. जिसपर सचिव ने वीसी के माध्यम से अदालत के समक्ष उपस्थित होकर अदालत को बताया कि अस्पताल के निर्माण का कार्य जल्द पूरा करने की दिशा में काम किया जा रहा है.
three important hearing- of jharkhand high- court,1. झारखंड हाई कोर्ट की तीन महत्वपूर्ण खबर,छठीं जेपीएससी में नई मेरिट लिस्ट के खिलाफ अभ्यर्थियों ने हाई कोर्ट में दाखिल की याचिका, एकल पीठ के निर्णय को दी चुनौती, 2.ब्लैक फंगस रोगी की मौत के बाद हाई कोर्ट सख्त- कहा- पैसा उगाही की मशीन बन चुके हैं अस्पताल,3. जिस मामले की निगरानी हाई कोर्ट कर रहा है, तो भवन निर्माण के सचिव ने संवेदक को कैसे टर्मिनेट का नोटिस दिया, जानें क्या है मामला
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