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west- singhbhum-चाईबासा के नये पुलिस कप्तान अजय लिंडा ने पदभार संभाला, कहा और भी आक्रमक होगा नक्सल ऑपरेशन, डायन -बिसाही हत्या पर विशेष नजर

राशिफल

चाईबासा. पश्चिमी सिंहभूम चाईबासा जिले के नए पुलिस कप्तान अजय लिंडा ने मंगलवार को पदभार संभाल लिया है. हालांकि एसपी अजय लिण्डा तेज-तर्रार तथा ईमानदार ऑफिसर के रूप में जाने जाते है. चाईबासा पुलिस अधीक्षक के रूप में पदभार संभालते ही उन्होंने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ और भी आक्रामक नक्सल ऑपेरशन चलाया जाएगा. तथा जिले में खासकर डायन बिसाही के नाम ज्पादातर हत्याएं होती है इसलिए डायन हत्या पर रहेगी खास नजर. पिछले वर्ष 16 हत्याएं डायन के संदेह पर हुई है और इस वर्ष भी पांच हत्याएं डायन के संदेह पर ही हुआ है. इसलिए डायन से सबंधित हुई घटना को लेकर फाइल खंगाली जायेगी और डायन बिसाही के नाम पर तथा अंधविश्वास में लोगों की हत्या ना हो इसके लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जाएगा ताकि इस तरह की अपराध पर अंकुश लगाया जा सके. साथ ही यह भी कहा गया कि थाना से लेकर एसपी कार्यालय तक आम लोगों की पहुंच और आसान होगी. कार्य नियंत्रण के साथ -साथ कम्युनिटी पुलिसिंग पर रहेगा जोर, सामाजिक कुरीतियों को जड़ से मिटाने के लिए मिलजुल कर काम होगा.

पदभार संभालने के बाद उन्होने कहा कि जिले में सबसे महत्वपूर्ण नक्सल समस्या है इसे समाप्त करना एक चुनौती है. जिले की भौगोलिक स्थिति ही ऐसी है, घनों जंगलों व पहाडों के बीच घिरा हुआ है. देश के मानचित्र पर सांरडा के घने जंगल एशिया का सबसे बड़ा क्षेत्र है.पोड़ाहाट नक्सलियों के लिए सबसे सेफ जोन माना जाता है. पुलिस के लिए यहां सबसे बड़ी नक्सल समस्या है, इसके अलावा अशिक्षित ग्रामीण जमीन विवाद को लेकर हत्या या डायन विसाही के नाम पर जिले में अपराधिक घटना सामान्य है. उन्होंने कहा कि जिले में अपराध व नक्सल समस्या पर पहले अंकुश लगाना है, इसके बाद ही अन्य बिन्दुओं पर फोकस करते हुए जिले के विकास में सहयोग करना. उन्होंने बताया कि थालकोबाद में पुलिस ने नक्सलियों के खिलाफ एनाकोंडा अभियान चलाया था. उस समय चाईबासा के नए एसपी अजय लिंडा प्रशिक्षु के रुप में शामिल थे. इसलिए श्री लिंडा यहां की भौगोलिक स्थिति से वाकिफ है.

उन्हें नक्सलवाद को किस तरह से सफाया करना है, इसके लिए रणनीति बनाकर उस पर अमल करेंगे. हलांकि नक्सलवाद से निपटना उनके लिए एक चुनौती है. उन्होंने बताया कि पहले नक्सली हावी थे लेकिन कालांतर में उनकी स्थिति पहले जैसी नहीं रही.संगठन के खिलाफ सरकार की ओर से लगातार अभियान चलाया जा रहा है. पहले जैसे लोग संगठन में जुड़ने से डरते है. सरकार के समक्ष नक्सलियों के आत्मसमर्पण से भी संगठन लगातार कमजोर हो रहा है.समय के साथ साथ पुलिस भी नयी तकनीक, नए हथियार से लैस होते गए और नक्सलियों पर पुलिस अब भारी नजर आती है.

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