संतोष वर्मा
चाईबासा : एक ओर जहां कोरोना जैसी महामारी से देश झुझ रहीं है वहीं किसान पेट्रोल और डीजल के बढ़ते मुल्य को लेकर दुसरी बोझ झेलने पर बाध्य है।पेट्रोल डीजल में अप्रत्याशित मुल्यों बढ़ोतरी को खेती नहीं कर पा रहें। इन सभी को देखते हुए जगन्नाथपुर विधानसभा के विधायक राजनितिक सफर से समय निकाल कर खेती करनें में जूट गये है और क्षेत्र के किसानों को एक संदेश दे रहें खेती करने के लिए। पश्चिमी सिंहभूम जिला के जगन्नाथपुर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस विधायक सोनाराम सिंकू इन दिनों में खेती में व्यस्त हैं. सुबह कभी ट्रैक्टर लेकर खेत जोतने निकल जाते हैं, तो किसी दिन जोते हुए खेत में धान बीज छींटने निकल जाते हैं. कांग्रेस विधायक सोनाराम सिंकु की दिनचर्या में खेती शामिल हैं. राजनीति से समय निकाल कर वे सीधे अपने खेत की ओर ही ध्यान देने में जुट जाते हैं. विधायक सोनाराम सिंकू किसान परिवार से जुडे हैं. युवा अवस्था से ही वे अपने पिता के साथ खेती के काम में हाथ बंटाते थे.
विधायक बनने से पहले विधायक का मुख्य पेशा खेती ही था, साथ ही जगन्नाथपुर बस स्टैंड में बसों की देख रेख कर लोगों की मदद करने का भी काम करते थे। विधायक बनने के बाद सोनाराम सिंकु उन्होंने बसों की देख रेख का कार्य छोड दिया। लेकिन खुद से खेती करना नहीं छोडा और ना ही वे छोडना चाहते हैं.वहीं विधायक सोनाराम सिंकु के बचपन का साथी सह समाजसेवी बिरबल हेस्सा भी कहते हैं की हम जानतें है वह बचपन से खेती करनें रूची रखता था और आज क्षेत्र का विधायक बनने के बाद भी खेती कर रहें है यह क्षेत्र के किसानों और युवा पिढ़ी के लिए यह एक बड़ी संदेश दे रहें है।वैसे तो विधायक सोनाराम सिंकु बहुत ही मध्यम परिवार से आतें है और परिश्रमिक भी है।हलांकी सोनाराम सिंकु का राजनितिक सफर झारखंड अलग रा मांग को लेकर आजसु पार्टी से शुरु हुई थी। अलग झारखंड राज्य की मांग को लेकर आंदोलन के दौरान जेल भी जाना पड़ा था।विधायक सोनाराम सिंकू पूर्व मुख्यमंत्री मधू कोडा और सांसद गीता कोडा के सबसे विश्वास पात्र माने जाते हैं. आज भी साये की तरह विधायक दोनों के साथ रहते हैं. गीता कोडा के सांसद बनने के बाद और मधु कोड़ा के चुनाव नहीं लड़ पाने के बाद कोड़ा दंपति ने जगन्नाथपुर से एक किसान के बेटे और छोटे से कार्यकर्ता सोनाराम सिंकू को परिवार वाद की राजनिति से उपर उठ कर कांग्रेस का टिकट दिलाया और जीता कर विधायक भी बनाया। गौरतलब है कि मधू कोडा मंत्री और सीएम रहते हुए भी खेती करते थे और आज भी वे खेती करते हैं. तो उनके शिष्य खेती करने में कैसे पीछे रह सकते हैं.’