चाईबासा: नोवामुण्डी टाटा स्टील फाउंडेशन जोडा के पशुपालन विभाग के साथ मिलकर ओडिशा के क्योंझर जिले के ग्रामीण समुदाय के बीच व्यवसायिक बकरी पालन को बढ़ावा दे रहा है. इस पहल ने 950 से अधिक परिवारों को आय का एक स्थिर स्रोत प्रदान करके लाभान्वित किया है. 2018 में, देवझर और अन्सेइकला ग्राम पंचायतों में रहने वाले स्थानीय लोगों के लिए स्थायी आजीविका कार्यक्रमों की पहचान के लिए एक सर्वेक्षण करते समय टाटा स्टील फाउंडेशन ने महसूस किया कि आसपास के क्षेत्रों में चारे की प्राकृतिक प्रचुरता के कारण यहां बकरी पालन की बहुत अच्छी संभावना है और यहां यह काफी फायदेमंद हो सकता है. इसी वर्ष, 100 से अधिक किसानों को जुटाया गया और बकरी पालन करने के लिए प्रशिक्षित किया गया. बहुत जल्द, बकरी पालन एक आजीविका कमाने के लिए सबसे व्यवहार्य विकल्प बन गया, विशेषकर उन किसानों के लिए जिनके पास कोई पैसा या जमीन नहीं थी.
2019 के अंत तक, 584 से अधिक परिवारों को औपचारिक रूप से बकरी पालन के व्यवसाय में शामिल किया गया .ठाकुरानी, महादेवनासा, कुलदुम, सियालजोडा, जामुकुंडिया, कोल्हाहुंडुला, पंचाननपुर और गोवर्धनपुर के किसान बकरी पालन के माध्यम से लगातार आय अर्जित कर रहे हैं.इस पहल के माध्यम से अकेले एक वर्ष में 91,000 रुपये कमाने वाले ठाकुरानी के हरिहर बारिक कहते हैं,“बकरी पालन ने मेरा जीवन पूरी तरह से बदल दिया है.
बकरी पालन में मुझे और मेरे गांव के अन्य लोगों की मदद करने के लिए मैं टाटा स्टील के प्रति आभारी हूं.“हालांकि बकरी पालन आय अर्जित करने का एक आकर्षक विकल्प है, फिर भी, इसमें अपने आप में कई चुनौतियों भी होती हैं. जैसे कि बकरियों में संक्रमण की बीमारी के कारण उच्च मृत्यु दर का होना आदि. इसका मुकाबला करने के लिए टाटा स्टील फाउंडेशन इन गांवों में कई टीकाकरण अभियान भी चला रहा है. पीपीआर एफएमडी (मुंह और पैर की बीमारी) और गोट पॉक्स जैसे टीके बकरियों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करने के लिए किसानों को मुफ्त में उपलब्ध कराए गए हैं.
अब तक 6055 बकरियों का टीकाकरण किया जा चुका है.बकरी पालन की इस पहल को तीन साल की परियोजना के रूप में डिजाइन किया गया था और अब तक बड़ी संख्या में किसानों ने इसके प्रति काफी दिलचस्पी दिखायी है.