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West-Singhbhum : श्मशान घाट मुक्तिधाम में बंगाली समाज के लोगों को हो रही परेशानी को लेकर एसडीओ से मिले सांसद प्रतिनिधि, समाधान की मांग

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Chaibasa : श्मशान घाट मुक्तिधाम में बंगाली समुदाय के अंतिम संस्कार की परंपराओं का समय से निर्वहन करने के लिए प्रबंधकों को उचित दिशा-निर्देश जारी करने के संबंध में कांग्रेस नेता सह सांसद प्रतिनिधि त्रिशानु राय ने बुधवार को सदर अनुमण्डल पदाधिकारी शशिन्द्र कुमार बड़ाईक से मुलाकात कर वस्तुस्थिति से अवगत कराते हुए ज्ञापन सौंपा। त्रिशानु राय ने कहा कि चाईबासा के श्मशान घाट मुक्तिधाम में इन दिनों दाह संस्कार के लिए बनाए गए चिता स्थल पर बंगाली समुदाय के लोगों के साथ उनकी परंपराओं के निर्वहन से रोका जा रहा है। शवों के दाह संस्कार के बाद परंपरानुसार चिता स्थल से अस्थि संग्रह करके ही बंगाली समुदाय के लोग वापस लौटते हैं। परंतु पिछले कुछ दिनों में ऐसे दृष्टांत सामने आए हैं कि वहां के प्रबंधकों द्वारा शवों के परिजनों को इस बात के लिए विवश किया जा रहा है कि वह दूसरे दिन आकर अस्थि संग्रह करें, जो कि बंगाली समुदाय की परंपराओं के विरुद्ध है। इसके पीछे प्रबंधकों का तर्क यह है कि वहां चिता के नीचे रखा जाने वाला ट्रे जल्दी खराब हो जाता है।

मृत्यु के उपरांत जैसे शव का अंतिम संस्कार करना परंपरा है, वैसे ही उसके बाद की विधियों का अनुपालन भी परंपरा का ही हिस्सा है। इसके लिए यदि महज एक ट्रे खराब होने के बहाने परंपराओं को निभाने से रोका जाता है, तो यह अस्वीकार्य है। चूंकि मुक्तिधाम में शवदाह के लिए सनातन धर्म को मानने वाले सभी समाज के लोग वहां निर्धारित राशि चुका कर ही अंतिम संस्कार करवाते हैं और वह राशि वहां के रखरखाव के लिए ही खर्च की जानी है, इसलिए यह तर्क न सिर्फ अनुचित है, बल्कि बंगाली समुदाय को इस पर घोर आपत्ति भी है। उन्होंने कहा है कि मुक्तिधाम की भूमि सार्वजनिक संपत्ति है, जिस पर किसी का भी एकाधिकार होना उचित नहीं बल्कि प्रबंधन को चाहिए कि सभी सनातनी परंपराओं का वहां निर्वहन सम्मान के साथ कराया जाए। श्मशान घाट मुक्तिधाम के प्रबंधकों को सभी समुदाय के लोगों की परंपरा के अनुसार दाह-संस्कार करवाने संबंधी दिशा निर्देश जारी किया जाए। इस पर सदर अनुमण्डल पदाधिकारी श्री बड़ाईक ने त्रिशानु राय को यथोचित पहल करने का आश्वासन दिया है।

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