अन्नी अमृता – चक्रधरपुर / जमशेदपुर : झारखंड में प्राइमरी टीचर ट्रेनिंग प्रोग्राम 2022 से उड़िया भाषा को हटाने से नाराज पश्चिम सिंहभूम के उड़िया भाषियों ने 31 जनवरी के बाद हाई कोर्ट जाने का मन बना लिया है. केरा राजघराने के दीपक सिंहदेव उत्कल सम्मेलनी के साथ मिलकर उड़िया भाषा को बहाल करने की मांग को लेकर न सिर्फ सोशल मीडिया में ओआरजी के माध्यम से कैंपेन चला रहे हैं बल्कि उन लोगों ने इस संबंध में पश्चिम सिंहभूम के सभी जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन भी सौंपा है. साथ ही वे लोग राज्यपाल को पत्र लिखने जा रहे हैं. (नीचे भी पढ़ें)
इस संबंध में बातचीत के दौरान केरा राजघराने के दीपक सिंहदेव ने बताया कि 7 जनवरी को झारखंड एकेडमिक काउंसिल के द्वारा एनसीटीइ परीक्षा-2022 का विज्ञापन निकाला गया. जिसमें सप्तम पत्र (क्षेत्रीय भाषाओं) के तहत उड़िया भाषा को शामिल नहीं किया जबकि अन्य क्षेत्रीय भाषाओं—संस्कृत, बंगाली, उर्दू, हो, नागपुरी, मुंडारी, खड़िया, संथाली और कुड़माली जैसी भाषाओं का चयन किया गया है. बावजूद इसके कि उड़िया भाषा संविधान की आंठवी अनुसूची में दर्ज मान्यता प्राप्त और झारखंड की दूसरी आधिकारिक भाषा है. (नीचे भी पढ़ें)
प्राथमिक प्रशिक्षण कार्यक्रम से उड़िया भाषा को हटाने से झारखंड के 40 लाख उड़ियाभाषियों में नाराजगी व्याप्त हो गई है जो आगे चलकर विवाद का कारण बन सकता है. दीपक सिंहदेव ने कहा कि उत्कल सम्मेलनी के साथ मिलकर वे लोग राज्यपाल को पत्र लिखकर मांग करेंगे कि अनुच्छेद 29 और 30 में निहित अपनी मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण करने के अधिकार के तहत प्राथमिक शिक्षण प्रशिक्षण कार्यक्रम में पहले की ही तरह 7 वें पेपर (पूरे कोल्हान क्षेत्र के लिए क्षेत्रीय भाषा) में उड़िया भाषा को शामिल किया जाए. साथ ही 126 साल पुराने चक्रधरपुर के केरा उड़िया मध्य विद्यालय को बेहतर शैक्षणिक सुविधाओं और बेहतर बुनियादी ढांचों के साथ अपग्रेड किया जाए. इसके अलावा राज्य के सभी उड़िया विद्यालयों में ज्यादा से ज्यादा उड़िया शिक्षकों की नियुक्ति की जाए. (नीचे पढ़ें पूरी खबर)
उड़िया भाषा को बहाल करने को लेकर दीपक सिंहदेव ने सोशल मीडिया पर ओआरजी के माध्यम से कैंपेन चलाया है जिसको व्यापक समर्थन मिल रहा है. ट्वीटर और इंस्टाग्राम पर लोग आगे बढ़कर इस कैंपेन का समर्थन कर रहे हैं. दीपक सिंहदेव ने कहा कि कुछ दिनों पहले उन्होंने चक्रधरपुर में उड़ीसा भाषा विचार मंच के साथ मिलकर इस मामले को उठाया जिसको उत्कल सम्मेलनी पश्चिम सिंहभूम का पूर्ण समर्थन मिल गया और अब सब मिलकर इस मामले को उठा रहे हैं. अगर 31 जनवरी तक समाधान नहीं निकला तो वे लोग हाई कोर्ट का रूख करेंगे.