चाईबासा : जॉन मिरन मुंडा के ऊपर लगे सीसीए तथा झींकपानी, टोंटो थाना में दर्ज मामलों की सीबीआई से जांच कराने की मांग को लेकर उनकी पत्नी पुष्पा रानी मुंडा अपने परिजनों के साथ मंगलवार से सदर अनुमंडलाधिकारी कार्यालय के समक्ष 48 घंटें का अनशन पर बैठ गयी हैं। इस दौरान पुष्पा मुण्डा ने कहा कि उनके पति जॉन मिरन मुंडा को जिला प्रसाशन प सिंहभूम के द्वारा तीसरी बार सीसीए (क्राइम कंट्रोल एक्ट) की धारा लगाकर चाईबासा से 102 किलोमीटर दूर जराईकेला थाना में प्रतिदिन हाजरी लगाने का आदेश जारी किया है। हमारा घर जिला के झींकपानी थाना क्षेत्र अंतर्गत जोड़ापोखर हाई स्कूल कॉलोनी में है। (नीचे भी पढ़ें)
एक स्थानीय कंपनी पर आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि कंपनी के द्वारा मजदूर और रैयतों के साथ किये जा रहे शोषण के खिलाफ मेरे पति ने कम उम्र में ही वर्ष 2003 से रैयतों और मजदूरों के हित में संघर्ष शुरू किया, जिसका नतीजा है कि कंपनी प्रबंधन के द्वारा झींकपानी और टोंटो थाना क्षेत्र के थाना प्रभारियों को पैसा देकर झूठा केस दर्ज कराया गया, ताकि मजदूरों के हित में उठने वाले आवाज को दबाया जा सके। उन्होंने कहा कि मेरे पति के ऊपर झींकपानी और टोन्टो थाना प्रभारियों ने मिलकर कुल 29 मामले दर्ज हैं, जिसमें 19 सन्हा तो सिर्फ झींकपानी थाना में ही दर्ज किया गया है। मजदूरों के ऊपर हो रहे शोषण के खिलाफ जब जब मेरे पति जॉन मिरन मुंडा के द्वारा आवाज उठायी जाती है तब तब कंपनी प्रबंधन के इशारे पर झींकपानी थाना क्षेत्र में झूठा सन्हा दर्ज करा दिया जाता है। सभी सन्हा की जांच किये जाने की आवश्यकता है। (नीचे भी पढ़ें)
उन्होंने कहा कि योजनाबद्ध तरीके से जॉन मिरन मुंडा पर सीसीए की धाराएं लगाकर झींकपानी और टोंटो थाना क्षेत्र से 102 किलोमीटर दूर जराईकेला थाना में प्रतिदिन हाजरी लगाने का आदेश दिया गया है ताकि उक्त कंपनी आदिवासियों के जमीन को फिर से सस्ता में लूट सके। मेरे पति को परिवार से 102 किलोमीटर दूर जराईकेला थाना में हाजरी लगवाया जा रहा है, जिससे परिवार की माली हालत भी दयनीय हो रही है। जॉन मिरन मुंडा को 6 माह परिवार से दूर रखना आदिवासी परिवार को भूखे मारने की साजिश है। इसलिए मेरे पति के ऊपर लगे सीसीए एवं झींकपानी, टोंटो थाना में दर्ज मामलों की सीबीआई से जांच कराई जाए तथा 2003 से अबतक झींकपानी, टोंटों थाना में पदस्थापित थाना प्रभारियों की संपत्ति की भी जांच कराई जाए, ताकि सत्यता का पता चल सके कि किस प्रकार मजदूर, किसान, आदिवासियों की आवाज को उठाने वाले मज़दूर नेता को झूठा केस में फंसाकर हमेशा के लिए लोकतांत्रिक आवाज को दबाने के लिए षडयंत्र रचा गया है।