जमशेदपुर : संसद में नये लेबर कोड को पेश किया गया. इसका अध्ययन किया जा रहा है. इस अध्ययन के बीच एक्सएलआरआइ के प्रोफेशर केआर श्याम सुंदर ने अपनी टिप्पणी दी है. कांग्रेस समेत तमाम दल जहां विरोध दर्ज करा रहे है, वहीं एक्सएलआरआइ के प्रोफेशर केआर श्याम सुंदर ने अपनी टिप्पणी में कहा है कि उनका कोड अधूरा हो गया है और बेकार ड्राफ्टिंग की गयी है. इस नये कोड से कंपनियों के खर्च को कम करने का है, लेकिन इससे बड़ी कंपनियों को लाभ होना है, छोटे या मंझोले कंपनियों को बहुत ज्यादा लाभ नहीं होगा और ना ही मजदूरों का ही इससे भला होना है. उन्होंने कहा है कि यह नया लेबर कोड तब लाया गया है जब सबसे ज्यादा बेरोजगारी से देश जूझ रहा है और कोरोना से हर कोई दो चार हो रहा है. आर्थिक तौर पर मजबूती प्रदान करने के लिए जरूरी था कि इससे श्रम कानूनों को लचिला बनाया जाये और इसका दायरा को और बढ़ाया जाये. उन्होंने बताया कि तीन लेबर कोड ऐसे है, जिससे ना तो इज ऑफ डुइंग बिजनेस, कंपनियों की सुरक्षा और श्रमिकों को ही मजबूती प्रदान किया गया है. 100 से 300 कर्मचारियों की संख्या वाली कंपनियों के बंद होने के लिए दरवाजे खोल दिये गये गये है, जिससे 40 फीसदी मजदूरों को श्रम कानून से बाहर कर दिया जाना घातक होगा.
xlri-professor-comment-on-labour-code-एक्सएलआरआइ के प्रोफेशर की भारत सरकार के लेबर कोड पर तल्ख टिप्पणी, कहा-यह अधूरा कोड बनाया गया, बेकार ड्राफ्टिंग की गयी, इससे मजदूरों और कंपनियों को भी लाभ नहीं होगा
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