संतोष वर्मा
Chaibasa : आदिवासी हो बहुल चाईबासा विधानसभा सीट पर इस बार भी पुराने प्रतिद्वंद्वी ही आमने-सामने हैं. इस चुनावी दंगल में जहां झामुमो प्रत्याशी व मौजूदा विधायक दीपक बिरूवा के सामने सीट बचाने की चुनौती है, वहीं भाजपा प्रत्याशी जेबी तुबिड के सामने झामुमो की 10 वर्षों से जारी किलेबंदी में सेंध लगाने की कठिन चुनौती है. हाटगम्हरिया प्रखंड के सिंदरीगौरी गांव निवासी दीपक बिरूवा 2009 तथा 2014 में लगातार दो चुनाव जीत चुके हैं. अब वह हैट्रिक लगाने की राह पर हैं. 2014 विधानसभा चुनाव में झामुमो प्रत्याशी दीपक बिरूवा ने भाजपा प्रत्याशी जेबी तुबिड को 34715 वोटों के बड़े अंतर से हराया था. दीपक बिरूवा ने 48.70 फीसदी वोट हासिल किया था. जबकि जेबी तुबिड को मात्र 24.13 फीसदी वोट ही मिले थे. 2014 में 194165 मतदाता थे. इनमें से 140862 मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था. मतदान का प्रतिशत 72.76 रहा था. इस बार इन्हीं दो उम्मीदवारों के बीच सीधे मुकाबले की संभावना है. मानकी (पीढ़ मानकी) खानदान से संबंध रखनेवाले दीपक बिरूवा ने 2009 में भी भाजपा प्रत्याशी को ही हराया था. तब उनके सामने आरएसएस से ताल्लुक रखनेवाले भाजपा प्रत्याशी मनोज लेयांगी मैदान में थे.
चाईबासा सीट पर ताल ठोंक रहे हैं 13 उम्मीदवार
चाईबासा विधानसभा सीट से इस बार 13 उम्मीदवार ताल ठोंक रहे हैं. इसमें निर्दलीय से लेकर क्षेत्रीय व राष्ट्रीय दलों के उम्मीदवार शामिल हैं. भाजपा से जेबी तुबिड, महागठबंधन के तहत झामुमो से दीपक बिरूवा, झाविमो से चांदमनी बलमुचू, टीएमसी से तुराम बुड़ीउली, आप से पुष्पा सवैयां, बसपा से मेवालाल होनहागा, जदयू से हिटलर सुंबरूई, एपीआई से नितिन रोशन एक्का, भारतीय आजाद सेना से बुधन बारी, अंबेकर क्राइट से मानकी सवैयां, ग्राम स्वराज भारत से मंगल सिंह सुंडी, पुष्पा सिंकू (निर्दलीय) व बेस बुड़ीउली (निर्दलीय) शामिल हैं.
जमीनी पकड़ में जेबी तुबिड से दो कदम आगे दिखते हैं दीपक बिरूवा
यदि जमीनी स्तर पर इन दोनों प्रत्याशियों की पकड़ को देखें, तो झामुमो प्रत्याशी दीपक बिरूवा की पकड़ अधिक मजबूत दिखती है. करीब 30 सालों से राजनीति में सक्रिय रहने वाले दीपक बिरूवा का मुख्य जनाधार ग्रामीण इलाकों में है. जबकि जेबी तुबिड की पकड़ यहां ढीली पड़ती नजर आती है. भाजपा की पकड़ शहरी इलाकों तक ही सीमित नजर आती है. इस चुनाव में भी कमोबेश यही स्थिति दिख रही है. भाजपा का आजसू के साथ गठबंधन है. लेकिन जानकार बताते हैं कि जेबी तुबिड को इसका लाभ अधिक मिलने की संभावना नहीं है. क्योंकि इस सीट पर आजसू का जनाधार बेहद कमजोर है. जबकि झामुमो प्रत्याशी दीपक बिरूवा को घटक दल कांग्रेस का समर्थन भी मिल रहा है. सदर विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस का अपना पॉकेट वोट है, जिसका सीधा लाभ दीपक बिरूवा को मिल सकता है. ऐसे में उनकी जीत की संभावना भी बढ़ जाती है. पिछले चुनाव में बिना गठबंधन में भी दीपक बिरूवा को कुल मतों में से 48.70 वोट मिले थे. तब कांग्रेस से अशोक सुंडी उम्मीदवार थे. झाविमो व मधु कोड़ा के नेतृत्व वाली जभासपा के उम्मीदवार भी मैदान में थे. मजदूर नेता जॉन मिरन मुंडा भी ताल ठोंक रहे थे, जबकि इस बार जभासपा, कांग्रेस, जॉन मिरन मुंडा नहीं है. जॉन मिरन मुंडा को पिछले चुनाव में 10983 वोट मिले थे. इस दृष्टिकोण से देखा जाए, तो झामुमो प्रत्याशी दीपक बिरूवा का ही पलड़ा भारी दिखता है.
अब तक के चाईबासा के विधायक
1957 : सुखदेव मांझी-झापा
1962 : हरीश चंद्र देवगम-झापा
1967 : बागुन सुंबरूई-निर्दलीय
1969 : बागुन सुंबरूई-निर्दलीय
1972 : बागुन सुंबरूई-झापा
1977 : मुक्तिदानी सुंबरूई-झापा
1980 : मुक्तिदानी सुंबरूई-निर्दलीय
1985 : राधे मुंडा-भाजपा
1990 : हिबर गुड़िया-झामुमो
1995 : जवाहरलाल बानरा-भाजपा
2000 : बागुन सुंबरूई-कांग्रेस
2005 : पुतकर हेंब्रम-भाजपा
2009 : दीपक बिरूवा-झामुमो
2014 : दीपक बिरूवा-झामुमो