जमशेदपुर : मुख्यमंत्री रघुवर दास के विधानसभा क्षेत्र जमशेदपुर पूर्वी में इन दिनों घमासान की स्थिति बनी हुई है. भाजपा के जमशेदपुर पूर्वी के कुछेक नेताओं के कारण बेलगाम वाली स्थिति हो चुकी है. यह तो शुक्र है कि भाजपा की अपनी पकड़ उस क्षेत्र में मजबूत होने और मुख्यमंत्री रघुवर दास के जनता के साथ सीधे रुबरु होने की वजह से स्थिति मुख्यमंत्री के लिए बेकाबू नहीं हुए है, लेकिन हालात खतरनाक जरूर हो चुके है. यह बातें यूं ही नहीं लिखी जा रही है, हकीकत स्थिति है, जिसको लेकर कार्यकर्ताओं में भी नाराजगी है. बताया जाता है कि आम कार्यकर्ताओं में सबसे ज्यादा नाराजगी मुख्यमंत्री के विधायक प्रतिनिधि पवन अग्रवाल और मुख्यमंत्री के करीबी कहे जाने वाले परिवहन प्राधिकार के सदस्य रामबाबू तिवारी को लेकर है. दरअसल, ये दोनों ही नेता अपने आपको मुख्यमंत्री से कम नहीं समझते है और अगर कोई जनता आया, तो उनसे मुख्यमंत्री के ही स्टाइल में आवेदन मांगते है. कहते है, बोलते है और फटकार भी लगा देते है, मानों वे खुद विधायक हो या खुद मुख्यमंत्री हो. वहीं, इसके ठीक विपरित इससे पहले इस तरह का व्यवहार पूर्व के विधायक प्रतिनिधियों या किसी अन्य नेता से नहीं सुना जा सकता था. यहीं वजह है कि नेताओं और कार्यकर्ताओं में अलग-अलग धुरी काम करने लगा है और हर ओर खींचतान की स्थिति है. कमलेश साहू के साथ पवन अग्रवाल की मारपीट की घटना जगजाहिर हो चुकी है. लेकिन यह गुस्सा ऐसे ही नहीं फूटा है. यह गुस्सा फूटा है, कार्यकर्ताओं या नेताओं के साथ बदतमीजी से बात करने की वजह से. शुरूआत उसी व्यवहार से शुरू हुआ, जो आज मारपीट तक पहुंच चुकी है. वैसे एक धड़ा सीधे तौर पर मुख्यमंत्री रघुवर दास से विधायक प्रतिनिधि पवन अग्रवाल को हटाने का डिमांड करने लगा है. दूसरी ओर, रघुवर दास के कैंप को मैनेज करने और इस तरह की लड़ाई को बंद कराने की जिम्मेदारी भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष चंद्रशेखर मिश्रा को दी गयी है. चंद्रशेखर मिश्रा को क्राइसिस मैनेजर बनाया गया है.