झारखंड विधानसभा चुनाव-2019saryu-roy-bbc-hindi-interview-पूर्व मंत्री सरयू राय का दो टूक-रघुवर दास को कहा था माइंस...
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saryu-roy-bbc-hindi-interview-पूर्व मंत्री सरयू राय का दो टूक-रघुवर दास को कहा था माइंस का हेराफेरी मत कीजिये, यह रास्ता मधु कोड़ा वाला है, नहीं माने, अब मधु कोड़ा का रास्ता चुन चुके है रघुवर दास, मैं सब बरदाश्त कर सकता हूं, अपमान नहीं बरदाश्त कर सकता-video

राशिफल

मुख्यमंत्री रघुवर दास के साथ पूर्व मंत्री सरयू राय की फाइल तस्वीरें.

जमशेदपुर : राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़कर अपना दमखम दिखाने वाले पूर्व मंत्री सरयू राय ने कहा है कि उन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास को कहा था कि माइंस के एलॉटमेंट में हेराफेरी मत कीजिये, लेकिन वह नहीं माने. उनको कहा था कि जो रास्ता आप चुन रहे है, वह मधु कोड़ा का रास्ता है, लेकिन उन्होंने वहीं रास्ता चुना और मधु कोड़ा का रास्ता को ही चुन लिया. यह रास्ता उनको वहीं पहुंचायेगा, जहां मधु कोड़ा पहुंचे है. उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि उनको दो से तीन माह के भीतर यह अंदेशा हो गया था कि उनका टिकट काटा जा सकता है क्योंकि मुख्यमंत्री रघुवर दास अपने लोगों को बोलते रहे थे कि इस बार सरयू राय को किसी भी हाल में टिकट लेने नहीं देंगे. इस कारण लगता था कि इस बार मुश्किल होगा. जहां तक मुख्यमंत्री से मिलने की बात है तो केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की बेटी के रिसेप्सन पार्टी के दिन रांची में मुख्यमंत्री से मुलाकात की थी और कहा था कि माइंस का आवंटन गलत तरीके से किया जा रहा है, लेकिन वे नहीं माने. उन्होंने कहा कि रघुवर दास के साथ संबंध कभी उनके बेहतर नहीं रहे थे.

मेरी ख्वाहिश नहीं थी कि राजनीति में आये
सरयू राय ने कहा कि उनकी कभी ख्वाहिश नहीं थी कि राजनीति में आये. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ता के रुप में काम किया. इसके बाद जयप्रकाश जी के साथ आंदोलन में शरीक हो गये. विद्यार्थी परिषद में रहे. संघ ने 1975 में उनको प्रचारक बनाया था. 1977 में जनता पार्टी का सरकार जब मोरारजी देसाई की बनी तो उनको जनता पार्टी के यूथ विंग का सांगठनिक सचिव बनाया था. इसके बाद गलती से राजनीति में आ गया. इसके बाद राजनीति रास नहीं आयी तो 1984 में पत्रकारिता में चले गये. इसके बाद फिर से राजनीति में आ गया.
अटल और आडवाणी की पार्टी अलग थी, अब लाबिस्टों की पूछ हो गयी है
सरयू राय ने कहा कि भाजपा अटल और आडवाणी की थी. अब लाबिस्टों की पार्टी बन गयी है. अटल और आडवाणी जी के साथ काम करने के वक्त किसी कार्यकर्ता को कुछ मांगना नहीं पड़ता था. वह सही व्यक्ति को पहले ही चुनकर दे देते थे. उन्होंने कहा कि एमएलसी, एमएलए और मंत्री भाजपा ने ही बनाया. बिना मांगे सबकुछ मिला. संघ की जहां तक बात है तो संघ के कई स्वयंसेवक ऐसे है, जिनको आज तक कुछ भी नहीं मिला, लेकिन सेवा के लिए संघ में लोग आते है और हम भी सेवा के लिए ही आये थे. लेकिन पार्टी में जगह दी गयी और अपने कर्तव्य का निर्वह्न भी हमने किया. हाल के दिनों में भाजपा में अगर कोई असहमति जताता है तो उसको बगावत करार दिया जाता है जबकि हमने यह सीखा है कि अगर कोई असहमति है तो उसका प्रबंधन ही राजनीति का हिस्सा है और सबका सामान आदर होना चाहिए. सबको साथ लेकर चलना चाहिए, लेकिन ऐसा वर्तमान में भाजपा के पास नहीं है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर वेंकैया नायडू के साथ काम किया, कौन नहीं जानता, मुझे प्रमाण देना पड़े कि मैं अच्छा हूं तो लानत है
सरयू राय से जब पूछा गया कि आपको बड़े नेता भी जानते है तो क्यों नहीं बड़े नेताओं ने आपका साथ दिया. इस पर सरयू राय ने कहा कि अमित शाह को छोड़कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, रविशंकर प्रसाद जैसे नेताओं के साथ काम किया है. ऐसे काम के बाद भी अगर कोई व्यक्ति मेरे खिलाफ झूठी बातें बोले और अपने को प्रमाणित करना पड़े, यह मेरे बस की बात नहीं है.
राजनाथ सिंह, ओम माथुर और नंदकिशोर यादव को कह दिया था कि अगर अपमानित करेंगे तो मुख्यमंत्री के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे, यह मेरा अंतिम चुनाव होता
सरयू राय से पूछा गया कि टिकट जब काटा गया तो क्या किसी नेता ने आपको फोन किया था. इस पर सरयू राय ने कहा कि संसदीय बोर्ड की बैठक के पहले राजनाथ सिंह से जाकर मिले थे. झारखंड भाजपा के प्रभारी ओम माथुर और सह प्रभारी नंदकिशोर यादव से मिले थे. सभी को हमने कहा था कि अगर सम्मान के साथ किसी तरह का खिलवाड़ होगा तो हम बरदाश्त नहीं करेंगे. सम्मान के साथ कुछ किया जाये तो ठीक होगा, क्योंकि अपमान हम बरदाश्त नहीं कर सकते है. इसके बाद नेताओं ने कहा कि उनको टिकट मिल जायेगा, चुनाव लड़ने की तैयारी कीजिये. इसके बाद जमशेदपुर आ गये. सरयू राय ने कहा कि तीन लिस्ट निकल गयी, लेकिन टिकट को होल्ड पर ही रखा गया. इसके बाद दिल्ली गया. फिर से राजनाथ सिंह से मिला. राजनाथ सिंह से लेकर ओम माथुर को यह कहा दिया कि अगर टिकट काटा गया और अपमानित किया गया तो मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे क्योंकि इस हालात के लिए रघुवर दास ही दोषी है. लेकिन चौथी लिस्ट को भी जारी कर दिया गया और टिकट को होल्ड कर दिया गया. इसके बाद हमने प्रेस कांफ्रेंस कर कह दिया कि वे टिकट लेना ही नहीं चाहते है और वे जमशेदपुर पूर्वी से चुनाव लड़ेंगे.
आडवाणी बड़े नेता, विष पी लेते है, हम ऐसा नहीं कर सकते, आडवाणी जी से मेरी क्या तुलना
सरयू राय से पूछा गया कि लालकृष्ण आडवाणी जैसे नेता है, जिनको कुछ नहीं मिला और टिकट काटा गया. ऐसे में आपका भी टिकट काट दिया गया तो क्या हुआ. उन्होंने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी बड़े नेता है, उनसे मेरी क्या तुलना है. आडवाणी जी काफी विष पी सकते है, मैं नहीं पी सकता है. मैं सबकुछ बरदाश्त कर सकता हूं, लेकिन अपमान बरदाश्त नहीं कर सकता हूं. ओम माथुर को हमने कहा था कि वे अंतिम बार चुनाव लड़ना चाहते है. इसका कोई सम्मानजनक रास्ता निकाला जाये. हमने यहां तक कहा कि बोलिये तो हम पैर दबा दें, कार्यालय में झाड़ू लगा दें, लेकिन अपमानित नहीं करें. लेकिन अपमान किया गया, तो हम इसको बरदाश्त नहीं करने वाले है.

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