जमशेदपुर : टाटा स्टील में एचआरएम के यादगार पदाधिकारी के रूप में जमशेदपुर में निरूप मोहंती की पहचान है. लेकिन उन्होंने टाटा स्टील की नौकरी छोड़ दी. टाटा स्टील में बतौर अधिकारी उन्होंने टाटा स्टील में संस्थापक दिवस समारोह 3 मार्च 1989 के दौरान हुए अग्निकांड में अपनी बेटी कुडी को खो दिया था. बेटी इकलौती थी और करीब 12 साल की उस वक्त थी. निरूप मोहंती और उनकी पत्नी रूपा मोहंती दोनों टाटा स्टील के ही अधिकारी के रूप में काम करते थे. इकलौती बेटे के खोने का गम था, लेकिन इस गम को इन दोनों पति-पत्नी ने अच्छे से पार किया. इसको एक अवसर के रूप में दिया और बेटी की मौत के करीब 30 साल के बाद भी आज भी वे लोग अपनी बेटी के नाम पर संस्था चलाकर बेटियों को शिक्षा देने के साथ ही बच्चों को उनकी उड़ान को मुकाम देने का काम करते है. इन दोनों ने ही अपने खर्च पर 300 सीट का ऑडिटोरियम जुस्को स्कूल को दिया जबकि बेटी के नाम पर इन लोगों ने कई बच्चों को उनके कैरियर को संवारा. बेटी को याद करते तो है, लेकिन वे लोग अपनी जिंदगी को भी जीते है. दोनों ने अपनी नौकरी छोड़ दी. इसके बाद वे लोग पूरी मस्ती में जिंदगी को बिताने का फैसला लिया और बेटी के नाम पर ही समाज की सेवा भी करते रहे. इस बीच निरुप मोहंती को झामुमो जैसी प्रमुख विपक्षी पार्टी ने जमशेदपुर लोकसभा से टिकट भी दिया और वे चुनाव भी लड़े. हालांकि, उनको हार का मुंह देखना पड़ा. कभी मायूस नहीं होने और सदा मुस्कुराते रहना इन दोनों दंपत्ति कि फितरत रही है और नुकसान को कैसे कोई अवसर में तब्दील करता है, यह सीखना अगर हो तो लोगों को निरुप मोहंती और रुपा मोहंती से सीखने की जरूरत है.