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Adityapur-congress : आदित्यपुर नगर निगम व आवास बोर्ड के खिलाफ कांग्रेस के आंदोलन की सफलता पर सवाल, लगातार चल रही पदयात्रा में क्यों शामिल नहीं हुए जिलाध्यक्ष छोटराय किस्कू, अपने सांसद प्रतिनिधि के नेतृत्व में चल रही पदयात्रा का हाल जाने ही बिष्टुपुर से क्यों लौट गयीं सिंहभूम सांसद गीता कोड़ा

राशिफल

आदित्यपुर : झारखंड में झामुमो, कांग्रेस और राजद महागठबंधन की सरकार है. पिछले साल भाजपा को मात देकर महागठबंधन ने झारखंड की सत्ता हासिल की थी. वैसे महागठबंधन में सबसे अधिक लाभ कांग्रेस को हुआ. जो आज सत्ता में शामिल है. वैसे देशभर में कांग्रेस हाशिए पर है. उसका कारण क्या है, आज आपको छोटा सा उदाहरण दे रहे हैं. हम बात कर रहे हैं कि आखिर कांग्रेस क्यों हाशिए पर है. क्यों कांग्रेस सत्ता से इतनी दूर जा चुकी है कि आज उसे क्षेत्रीय दलों से भी कम सीटें मिल रही हैं, जो कांग्रेस देश की दशा और दिशा तय करती थी, आज वही कांग्रेस अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है. वैसे इसके लिए कांग्रेसी ही जिममेवार है. जी हां कांग्रेस अब आंदलोन की पार्टी नहीं रह गयी. कांग्रेस अब चमत्कार के बल पर सत्ता पाने में जुट गयी है. यही कारण है कि झारखंड में कांग्रेस चमत्कार के बूते ही सत्ता में बनी है. चलिए अब उदाहरण के माध्यम से इसे समझिए. झारखंड के सारायेला-खरसांवां जिले में जिला कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर आदित्यपुर नगर निगम क्षेत्र एवं आवास बोर्ड के खिलाफ कांग्रेसी नेता मुन्ना शर्मा पिछले पांच दिनों से पदयात्रा कर क्षेत्र के लोगों को जागरूक कर इस अभियान से जोड़ रहे हैं. लोग जुड़ भी रहे हैं, लेकिन हैरान करनेवाली बात ये है, कि इस पदयात्रा कार्यक्रम से बड़े कांग्रेसी नदारद नजर आ रहे हैं. यहां तक कि जिलाध्यक्ष छोटराय किस्कू भी पदयात्रा कार्यक्रम में कहीं नजर नहीं आ रहे. (आगे की खबर नीचे पढ़ें)

यहां ये भी बता दें कि मुन्ना शर्मा सिंहभूम सांसद गीता कोड़ा के सांसद प्रतिनिधि भी हैं, और गीता कोड़ा एवं पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा शनिवार को जमशेदपुर तिलक पुस्तकालय में आयोजित कांग्रेस के कार्यक्रम में हिस्सा लेकर वापस लौट गए जबकि आदित्यपुर में कांग्रेसी पदयात्रा कार्यक्रम चला रहे थे. ऐसे में साफ समझा जा सकता है कि नगर निगम के खिलाफ जारी कांग्रेसियों का यह आंदोलन कितना सफल होगा. वैसे इक्के दुक्के कांग्रेसी पिछले पांच दिनों से मुन्ना शर्मा के साथ बने हुए हैं, जिनमें कांग्रेस के जोनल प्रभारी सुरेशधारी. दिवाकर झा, उपेंद्र शर्मा, राणा सिंह, नवल शर्मा. अंबुज ठाकुर वगैरह शामिल हैं. इसके अलावे न तो सरायकेला- खरसावां जिले के बड़े कांग्रेसी नजर आ रहे न ही कांग्रेस के कोई बड़ा नेता ही इस आंदोलन का हिस्सा बनने पहुंच रहे. जबकि भाजपा हर एक कार्यक्रम को सफल बनाने में पूरी ताकत झोंक देती है. चाहे पंचायत स्तर का ही कार्यक्रम क्यों न हो. फिलहाल सरायकेला कांग्रेस कमेटी का आंदोलन नगर निगम कांग्रेस का अभियान बनकर रह गया है. वैसे इस सवाल पर जोनल प्रवक्ता सुरेशधारी ने बहद ही चतुराई से जवाब देते हुए कहा कि आनेवाले दिनों में इस आंदोलन का स्वरूप देखने को मिलेगा. जबकि राण सिंह ने भी सुरेशधारी की बातों को समर्थन किया. वहीं इंटक नेता लालबाबू सरदार ने इसे मीडिया का नजरिया बताते हुए कहा कि कांग्रेस के नेताओं को अन्य कामों में व्यस्त बताते हुए आगामी पांच दिसंबर के कार्यक्रम में इसका विराट स्वरूप देखने की बात कही. वहीं आंदोलन का नेतृत्व कर रहे मुन्ना शर्मा ने बताया कि बड़े नेता क्यों दिलचस्पी नहीं ले रहे ये उनका अपना नजरिया हो सकता है, लेकिन उन्हे क्षेत्र की जनता का भरपूर साथ मिल रहा है. वे जनता के लिए आंदोलन पर निकले हैं, जनता के लिए आंदोलन जारी रहेगा.

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