राजन सिंह
बहरागोड़ा : 1980 से 2000 तक बहरागोड़ा विधानसभा (सीपीआई) लाल झंडे का अजय दुर्ग बना रहा. सीपीआई नेता देवीपद उपाध्याय लगातार चार बार विधायक बने और तब यह कहा जाने लगा था कि यहां लाल झंडे का सूर्यास्त कभी नहीं होगा. मगर, आज स्थिति यह है कि यह पार्टी घुटने के बल अपने अस्तित्व बचाने की कवायद में जुटी है. वर्ष 2000 में देवीपद उपाध्याय में पार्टी छोड़ दी और कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में चुनाव में पहली पराजय का दर्द झेला. इसके बाद पार्टी का जनाधार धीरे – धीरे खिसकता गया. देवीपद उपाध्याय की पार्टी में वापसी जरूर हुई. मगर पार्टी चुनावी रेस में नहीं आ सकी. स्वच्छ छवि के धनी देवीपद उपाध्याय और धुरंधर राजनीतिबाज रविंद्र नाथ दास की जोड़ी ने इस विधानसभा को लाल झंडे का अजेय दुर्ग बनाया। वर्ष 1980, 1985, 1990 और 1995 में सीपीआई के उम्मीदवार देवीपद उपाध्याय ने तमाम विरोधियों को मात देकर विजय प्राप्त की. वर्ष 2000 के चुनाव के पूर्व देवीपद उपाध्याय और रविंद्र नाथ दास के बीच खटास पैदा हुई और यहीं से सीपीआई के पतन का दौर शुरू हुआ. चुनाव के पूर्व देवीपद उपाध्याय कांग्रेस में शामिल हो गए और कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में हार पहला स्वाद चखा. इस चुनाव में सीपीआई ने रविंद्र नाथ दास को अपना उम्मीदवार बनाया. परंतु श्री दास को लगभग 22000 वोट मिले और वह चौथे स्थान पर रहे. वर्ष 2004 के चुनाव में सीपीआई ने पुन: रविंद्र नाथ दास को उम्मीदवार बनाया। इस चुनाव में श्री दास को 9093 मत मिले। 2009 के चुनाव में सीपीआई ने अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं किया। इसी बीच रविंद्र नाथ दास ने सीपीआई छोड़ दी और बहरागोड़ा खेत मजदूर यूनियन बनाया। विस चुनाव 2014 के पूर्व देवीपद उपाध्याय की सीपीआई में वापसी हुई। इस चुनाव में सीपीआई ने डॉ रतन महतो को अपना उम्मीदवार बनाया। डॉ महतो को 5000 से थोड़े ज्यादा मत प्राप्त हुए। और इस तरह सीपीआई अर्श से फर्श पर आ गिरी. सीपीआई के लाल झंडे का सूरज अस्त हो गया.