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india-president-election-राष्ट्रपति चुनाव में यशवंत सिन्हा को समूचा विपक्ष का संयुक्त प्रत्याशी बनाया गया, झारखंड के पहले सपूत, जो बनेंगे राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार, जानें क्या है यशवंत सिन्हा का इतिहास

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यशवंत सिन्हा.

नयी दिल्ली : देश में 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी दलों ने भाजपा के पूर्व नेता और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा को अपना साझा उम्मीदवार घोषित कर दिया है. विपक्ष की ओर से तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष सह पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पेशकश के बाद समूचा विपक्ष ने उनको साझा उम्मीदवार घोषित कर दिया. नयी दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन कर विपक्ष की ओर से कांग्रेस के नेता मल्लिकाअर्जुन खड़गे, राष्ट्रवादी कांग्रेस के अध्यक्ष शरद पवार ने संयुक्त रुप से इसकी अधिकारिक घोषणा कर दी. इन लोगों ने समूचा विपक्ष के नेताओं को एकजुट होकर यशवंत सिन्हा को चुनाव में जीताने की अपील की है. अब विपक्ष की एकजुटता को लेकर सबकी नजरें टिकी रहेगी जबकि सत्ता पक्ष का कौन प्रत्याशी होगा यह भी देखा जायेगा. वैसे यशवंत सिन्हा ने मोदी सरकार के विपक्षी एकता को बनाये रखने के लिए तृणमूल कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया.
झारखंड का पहला सपूत, जो बन रहा राष्ट्रपति का उम्मीदवार, रह चुके है आइएएस

यशवंत सिन्हा झारखंड के हजारीबाग के रहने वाले है. वे आइएएस रह चुके है और आइएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आने के बाद हजारीबाग से कई बार के सांसद रहे. हजारीबाग से सांसद रहे यशवंत सिन्हा ने अपनी सीट छोड़ी और भाजपा ने उनके बेटे जयंत सिन्हा को प्रत्याशी बनाया और आज भी हजारीबाग से उनके बेटे भाजपा से सांसद है. आपको बता दें कि बिहार के पटना के चित्रगुप्तवंशी कायस्थ परिवार में उनका जन्म हुआ है. श्री सिन्हा 1958 में राजनीति शास्त्र में मास्टर्स यानी स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की. इसके बाद वे पटना यूनिवर्सिटी से 1960 तक इसी विषय की शिक्षा दी. 1960 में आइएएस हो गये. अपने कार्यकाल में कई पदों पर रहे. 24 साल से अधिक साल तक नौकरशाह रहे. बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में दो साल तक अवर सचिव और उपसचिव रहने के बाद वे भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उपसचिव के रुप में काम किया. 1984 में उन्होंने आइएएस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी (भाजपा का पुराना नाम) से जुड़ गये. 1986 में उनको पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त कयिा गया और 1988 में उनको राज्यसभा का सदस्य चुन लिया गया. 1989 में उन्होंने चंद्रशेखर के मंत्रिमंडल में नवंबर 1990 से जून 1991 तक वित्त मंत्री के रुप में काम शुरू किया. जून 1996 में भाजपा का उनको राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया. इसके बाद 1998 में उनको वित्त मंत्री नियुक्त किया गया. उस दिन से 22 मई 2004 तक संसदीय चुनावों के बाद नयी सरकार के गठन तक विदेश मंत्री बने. 2009 को उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष का पद छोड़कर इस्तीफा दे दिया. आम चुनाव में हार के बाद पार्टी को उन्होंने छोड़ दिया. 13 मार्च 2021 को श्री सिन्हा तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गये. इसके बाद सक्रिय राजनीति में आगे आये.

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