जमशेदपुर : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने शुक्रवार को महानगर भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेस वार्ता में राज्य सरकार के विभागो में व्याप्त भ्रष्टाचार की कार्य संस्कृति पर हमला बोला. श्री षाड़ंगी ने कहा कि 30 सितंबर 2017 को एमओ सुनील शंकर रिटायर हो गये. इसके बाद सुनील शंकर ने विभाग में संविदा पर नियुक्ति करने का आवेदन दिया. अन्य नियुक्तियों के लिए विज्ञापन प्रकाशित कर आवेदन मंगाने तथा नियुक्ति प्रक्रिया 15 अक्टूबर 2017 तक पूरा कर लेने का विभागीय आदेश निकला लेकिन सुनील शंकर की नियुक्ति तत्काल कर ली गई. नियमानुसार संविदा पर नियुक्ति विज्ञापन के आधार पर हो सकती है अथवा मुख्य सचिव के माध्यम से मुख्यमंत्री इसकी परिस्वीकृति दे सकते हैं, परंतु सुनील शंकर की नियुक्ति में वित्त विभाग के सर्कुलर का उल्लंघन किया गया. पूरे राज्य में नशे की खुले व्यापार को जो राजनीतिक संरक्षण निल रहा है उस पर केंद्र सरकार का गृह मंत्रालय संज्ञान लें बीते 22 मार्च को बंगाल चुनाव को देखते हुए उत्पाद विभाग के द्वारा यर सर्कूलर निकाला गया कि निकाला गया कि चुनाव ख़त्म होने तक राज्य के 10 ज़िलों में ड्राइ-डे रहेगा लेकिन शराब कारोबारियों के दबाव में आकर सरकार ने वह आदेश वापस लिया और ग्रामीण क्षेत्रों में ड्राई डे की घोषणा की. इस निर्णय से नशे के कारोबार के प्रति कार्रवाई करने को लेकर राज्य सरकार की मंशा कितनी हल्की है ये साफ़ पता चलता है. (नीचे पूरी खबर पढ़ें)
सरकारी जमीन के अतिक्रमण की भाजपा कड़े शब्दों में निंदा करती है. लेकिन निर्दोष लोगो पर कार्यवाही नही होनी चाहिए. कल गढवा मे महिलाओं और बच्चो के साथ खेतों के अंदर घुसकर पुलिस ने जो मारपीट की वह निंदनीय है. खासमहल समेत सभी अतिक्रमण की वारदातों मे संलिप्त बड़ी मछलियों को पुलिस गिरफ्तार करे लेकिन निर्दोषो को फंसाकर खानापूर्ती न करे. खाद्य आपूर्ति विभाग की उपलब्धियों को टेलीफोन के माध्यम से लाभुकों तक पहुंचाने का काम रांची के बाबा कंप्यूटर्स को दिया गया. इस काम के लिए इस कंपनी को सरकार के दूसरे विभागों द्वारा दिए जाने वाले पैसे से 800 प्रतिशत अधिक राशि दी गयी. ऐसे वॉयस कॉल के लिए राज्य का सूचना एवं जनसंपर्क विभाग 10 पैसे प्रति कॉल लेता था जबकि बाबा कंप्यूटर्स को 81 पैसे प्रति कॉल की दर से यह काम दिया गया. खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा निकाले गये टेंडर में चार कंपनियों ने हिस्सा लिया था. इनमें दो कंपनी (बाबा कंप्यूटर्स एवं जन सेवा ऑनलाइन प्राइवेट लिमिटेड) के एक ही मालिक रितेश गुप्ता थे. एक अन्य वेंडर दुर्गा इंटरप्राइजेज, हरमू रोड, रांची का कोई भी प्रमाणिक पता नहीं दिया गया. पटना की एक कंपनी ने जो दर कोट की थी वह जरूरत से ज्यादा थी यद्यपि वॉयस कॉल की दरें लगातार कम होती जा रही थी तथापि विभाग ने जानबूझ कर सेवा प्रदाता कंपनी से दरों को कम नहीं कराया. उल्टे इसी दर पर 2018-2019 तक बाबा कंप्यूटर्स को अवधि विस्तार दे दिया गया. प्रशासनिक पदाधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट के प्रावधानों के खिलाफ फुटबॉल की तरह इधर से उधर करने की जो कार्यशैली उत्पन्न हुई है जबकि कोरोना काल में सभी राज्यों में यथासंभव ट्रांसफर-पोस्टिंग की गतिविधियों पर लगाम लगायी गई. झारखंड में इसे अलग उद्योग के रुप में विकसित किया जा रहा है, जो ईमानदार प्रतिभाशाली अफसर है, उन्हें सेक्रेटेरियट में फाइलों में उलझाकर रखा गया है और जो राजनीतिक संरक्षण में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले हैं, ऐसे तमाम अफ़सरों की पोस्टिंग फील्ड में की जा रही है ताकि भ्रष्टाचार के धंधे को बढाया जा सके. इस कारण आपराधिक घटनाओं पर सरकार का कोई कट्रोल नही है. कोरोना काल के सभी ट्रांसफर पोस्टिंग की सूचियों की जांच होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी राज्य सरकार से मांग करती है कि ऐसे सभी मामलों की निष्पक्ष जांच की जाए.