जमशेदपुर : जमशेदपुर के एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ अरुण कुमार के निलंबन को लेकर सरयू राय ने सवाल उठाया है. श्री राय ने निलंबन और मंत्री के कार्यालय से निलंबन की प्रेस विज्ञप्ति जारी होना एक भस्मासुर वरीय चिकित्सक पर प्रशासनिक एवं राजनीतिक अत्याचार है. यह स्वास्थ्य मंत्री का द्वेषपूर्ण मनमाना निर्णय है. श्री राय ने कहा है कि एमजीएम अस्पताल की स्थिति में सुधार से इसका कोई लेना-देना नहीं है. यह सामान्य प्रशासनिक प्रक्रिया का उलंघन है और नैसर्गिक न्याय के विरूद्ध है. बिना आरोप बताये, बिना स्पष्टीकरण पूछे और स्पष्टीकरण के जवाब का इंतज़ार किए बिना एक वरीय चिकित्सक और नेक दिल इंसान पर निलंबन की गाज गिरा देना असंतुलित मानसिकता और विकृत प्रशासनिक सोच का द्योतक है. स्वास्थ्य मंत्री को बताना चाहिए कि एमजीएम अस्पताल के अधीक्षक डॉ अरुण कुमार ने कौन सी ऐसी गलती किया है जो निलंबन की सजा देने लायक़ है. श्री राय ने चार बिंदू को लेकर सवाल उठाये है. उन्होंने कहा है कि स्वास्थ्य मंत्री को डॉ अरुण कुमार इतना प्रिय लगे कि प्राध्यापक पद की योग्यता नहीं होने पर भी उन्होंने इन्हें एमजीएम अस्पताल का अधीक्षक बना दिया. ज्ञातव्य है कि ऐसे अस्पताल का अधीक्षक होने के लिए चिकित्सक को प्राधिकरण होना चाहिए. श्री राय ने कहा है कि डॉ अरुण कुमार ने 31 जनवरी 2022 को ही अवकाश ग्रहण कर लिया था. वे सेवा में बने रहने के इच्छुक नहीं थे. पर स्वास्थ्य मंत्री ने इन्हें योग्य पाकर 6 माह की अवधि विस्तार दे दिया. श्री राय ने यह भी कहा कि इस बीच ऐसा क्या हुआ कि जब उनका अवधि विस्तार आगामी 31 जुलाई को समाप्त हो रहा था तो स्वास्थ्य मंत्री ने उन्हें निलंबित होने की प्रेस विज्ञप्ति अपने कार्यालय से जारी कर दिया. सामान्य प्रक्रिया के अनुसार विभागीय अधिसूचना होने का इंतज़ार नहीं किया. मंत्री की कौन सी इच्छा डॉ अरुण कुमार ने नहीं पूरा किया कि उन्होंने मंत्री ने 5 दिन का इंतज़ार नहीं किया और उन्हें शालीनता से अवकाश ग्रहण नहीं करने दिया. सरयू राय ने कहा है कि ऐसा कौन काम स्वास्थ्य मंत्री करना चाहते थे जिसके लिए वे 5 दिन तक इंतज़ार नहीं कर सकते थे और डॉ अरुण कुमार उनकी मंशा पूरा होने की राह में बाधा बन रहे थे. विधायक सरयू राय ने सवाल करते हुए कहा है कि डॉ अरुण कुमार का निलंबन एक असामान्य घटना है. स्वास्थ्य विभाग में हो रही अनियमितता की पोल खोलने वाली है.