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jamshedpur-mla-saryu-roy-जमशेदपुर के विधायक सरयू राय का विरोधियों पर ”बड़ा वार”, पहले सीबीआइ जांच के लिए खुद गृहमंत्री को लिखा था पत्र, अब मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर, खुद कर दी ”रघुवरवादी नेताओं” के आरोपों की जांच की मांग, कहा-आरोपों की त्वरित जांच किसी भी सक्षम एजेंसी से कराये सीएम, दोषी पाये गये तो हर सजा भुगतने को तैयार

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जमशेदपुर : पिछले कई दिनों से भाजपा के नेताओं के निशाने पर चल रहे भाजपा के पूर्व नेता और वर्तमान में अपनी पार्टी बनाने वाले जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने एक बार फिर से भाजपा के आरोपों पर सबकी बोलती बंद कराने वाला कदम उठाया है. उन्होंने शुक्रवार को पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी द्वारा उनके ऊपर लगाये गये आरोपों की भी जांच करने के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिख दी है. इससे पहले वे खुद के खिलाफ सीबीआई जांच कराने की मांग करते हुए पत्र भेज चुके है. इसके बाद अब खुद मुख्यमंत्री को पत्र लिख दिया है. मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में सरयू राय ने कहा है कि जमशेदपुर में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के निकटस्थ कुछ लोग विगत कई दिनों से उनके विरूद्ध आरोप लगा रहे हैं कि उनकी सरकार में मंत्री रहते उन्होंने (सरयू राय ने) उस समय के अपने विभाग में कतिपय अनियमितता किया है, उन्होंने इस बारे में उपायुक्त, पूर्वी सिंहभूम को ज्ञापन दिया और कहा कि इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए. श्री राय ने कहा है कि इस बारे में भारत सरकार के गृह मंत्री के पास लिखित प्रस्ताव भेज दिया कि सीबीआई आपके अधीन है, आप जमशेदपुर भाजपा के रघुवर वादियों की इन शिकायतों की जांच सीबीआई से करा दीजिये. लोग इससे भी संतुष्ट नहीं हैं. इसके बाद ये बयान दे रहे हैं कि इस बारे में उनको अमित शाह को नहीं लिखकर हेमंत सोरेन, मुख्यमंत्री को लिखना चाहिये था. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने शुक्रवार को जमशेदपुर में प्रेस कांफ्रेंस कर यह बात कही है, जो आज जमशेदपुर से प्रकाशित कतिपय अखबारों में छपा है इसलिये आपको पत्र लिख कर निवेदन कर रहे है कि जांच करा ली जाये. उन्होंने लिखा है कि कुणाल षाड़ंगी ने शुक्रवार को उनके ऊपर दो आरोप लगाया है जो उनके अनुसार काफी गंभीर हैं. आरोप में कहा गया है कि मंत्री रहते सरयू राय के कार्यकाल में खाद्य आपूर्ति विभाग में बाबा कंप्यूटर्स को डाटा कॉलिंग के लिये बहाल किया गया, जिसका दर काफी उंचा था. यह दर 80 पैसा प्रति कॉल था जबकि सूचना प्रसारण विभाग यह काम 10 पैसा प्रति कॉल में करा रहा था. मंत्री रहते सरयू राय ने सुनील शंकर, अवकाश प्राप्त मार्केटिंग अफसर, को प्रक्रिया का पालन किये बिना पुनः सेवा विस्तार का अवसर दे दिया. पहले आरोप के बारे में बाबा कम्प्यूटर ने खुद ही जवाब दे दिया है कि खाद्य आपूर्ति विभाग में उनकी नियुक्ति निविदा के आधार पर हुई थी. इसके पूर्व वे झारखंड सरकार के नगर विकास विभाग, आईटी विभाग एवं कतिपय अन्य विभागों में भी निविदा के आधार पर यह काम कर चुके थे. इन सभी विभागों में उनका कार्य दर करीब करीब समान था. उस वक्त नगर विकास विभाग के मंत्री सीपी सिंह थे. आईटी विभाग तो खुद मुख्यमंत्री रघुवर दास ने अपने पास रखा था. मुझ पर आरोप लगाते समय रघुवर वादियों ने प्रेस को यह बताना उचित नहीं समझा. फिर भी इसकी जांच करा लेने का अनुरोध मुख्यमंत्री से किया है. दूसरा आरोप उन्होंने सरयू राय पर मार्केटिंग अफसर सुनील शंकर की पुनर्नियुक्ति का लगाया है. सरयू राय ने बताया है कि सुनील शंकर आज भी धनबाद में काम कर रहे हैं. वे अन्य 15 लोगों के साथ निविदा आधारित उन्हीं शर्तों पर पुनर्नियुक्त किये गये हैं. उन्होंने बताया है कि उनके मंत्री नहीं रहने के बाद भी वर्तमान सरकार द्वारा इनकी नियुक्ति हुई है. उनके कार्यकाल में ही तय हुआ था कि खाद्य आपूर्ति विभाग में कार्यबल की कमी के मद्देनजर जो सेवानिवृत्त हुये हैं, उनसे उनकी इच्छा जानकर विभाग में काम करने का अवसर दिया जाये. श्री राय ने बताया है कि सुनील शंकर को वे तबसे जानते हैं जब वे पटना में विद्यार्थी थे. उनका परिवार कदमकुआँ, पटना में रहता था. बाद में उनका विवाह भी उनके एक मित्र परिवार में हुआ. अवकाश ग्रहण के उपरांत उन्होंने इच्छा जाहिर किया कि विभागीय घोषणा के अनुरूप निर्धारित शर्तों पर वे अवकाश प्राप्त करने के बाद विभाग को सेवा देना चाहते हैं. वे योग्य थे, उन पर आरोप नहीं थे. उन्होंने एवं विभागीय सचिव को उन्होंने आवेदन दिया. विभाग ने उन्हें नियुक्त किया. इस बीच कई अन्य लोगों ने भी विभाग में सेवा देने की इच्छा जाहिर की. विभागीय प्रक्रिया के अनुसार सुनील शंकर सहित अन्य करीब डेढ़ दर्जन लोग नियुक्त किये गये. वे अभी भी कार्यरत हैं. श्री राय ने कहा है कि फिर भी यदि लगता है कि सुनील शंकर की नियुक्ति में अनियमितता हुई है, इससे सरकार को वित्तीय नुकसान हुआ है, उन्हें वह वित्तीय लाभ मिला है जिसके वे हकदार नहीं थे और इस कारण राजकोष पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है और यह सब उनकी अनियमितता बरतने के कारण हुआ है तो मुख्यमंत्री, इसकी त्वरित जांच किसी भी सक्षम एजेंसी से करा लिया जाये. दोषी पाये जाने पर वे सजा भुगतने के लिये तैयार है. उन्होंने मुख्यमंत्री को शीघ्र फैसला लेने की अपील की है.

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