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jharkhand-assembly-झारखंड विधानसभा में झाविमो के भाजपा-कांग्रेस में विलय को लेकर हुई सुनवाई, प्रदीप यादव और बंधु तिर्की की दलील में फंसे बाबूलाल मरांडी, मरांडी ने हाईकोर्ट में दी स्पीकर के न्यायाधिकरण नोटिस को चुनौती, फैसला बाकि

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विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो की फाइल तस्वीर.

रांची : झारखंड विधानसभा में झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के विलय को लेकर सोमवार को सुनवाई हुई. इस सुनवाई के दौरान भाजपा के विधायक दल के नेता और झारखंड विकास मोर्चा के संस्थापक बाबूलाल मरांडी की पेशी हुई जबकि झाविमो से ही अलग होकर कांग्रेस में शामिल हुए प्रदीप यादव और बंधु तिर्की भी सुनवाई के दौरान हाजिर हुए. इन तीनों विधायक की ओर से वकीलों के माध्यम से दलील दी गयी. विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने न्यायाधिकरण में सुनवाई की और सारे पक्षों के बयान को कलमबंद किया. इस सुनवाई के दौरान बाबूलाल मरांडी ने बताया कि वे पार्टी के प्रमुख थे. उन्होंने पार्टी से पार्टी विरोधी काम करने के कारण प्रदीप यादव और बंधु तिर्की को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था. छह साल के निष्कासन के बाद वे झाविमो के अकेले विधायक होने और अध्यक्ष होने के नाते अपनी ही पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया, जो सही है. सुप्रीम कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग द्वारा बाबूलाल मरांडी के विलय को लेकर दिये गये फैसले को आधार बनाते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि उनका विलय सही है और बंधु तिर्की और प्रदीप यादव की बातें गलत है. बाबूलाल मरांडी की ओर से अधिवक्ता आरएन सहाय हाजिर हुए. हालांकि, बाबूलाल मरांडी की ओर से 17 नवंबर को टाइम पीटिशन दिया गया था, जिसमें दसवीं अनुसूचि को लेकर झारखंड हाईकोर्ट में दी गयी चुनौती का जिक्र किया गया है. इसकी जानकारी विधानसभा अध्यक्ष को दी गयी. बाबूलाल मरांडी ने छह सप्ताह का समय मांगा गया था, जिस पर विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि उतना समय नहीं दिया जा सकता है. इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने 17 दिसंबर को अगली सुनवाई में तैयारी करके आने की सलाह दी. अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया ने बंधु तिर्की और प्रदीप यादव ने अपना दलील रखनी चाही, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष ने सुनने से इनकार किया, लेकिन आग्रह पर उनका पक्ष सुना गया. बंधु तिर्की और प्रदीप यादव की ओर से अधिवक्ता ने भी अपना पक्ष रखा और बताया कि यह सही बात है कि बंधु तिर्की और प्रदीप यादव ने मिलकर कांग्रेस में झाविमो का विलय कर दिया है क्योंकि तीन में से दो विधायक यानी दो तिहाई विधायक मिलकर पार्टी का विलय कर दिये, जिस कारण कांग्रेस में विलय होना ही जायज है और सही भी है. इन सारी बातों को सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने न्यायाधिकरण की कार्यवाही को समाप्त कर दिया और फैसला बाद में देने की बात कहीं है. अभी और भी सुनवाई चलेगी, जिसके बाद किसी तरह का फैसला होगा. वैसे यह फैसला राज्य की राजनीति के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि झारखंड की प्रमुख विपक्षी पार्टी भाजपा की ओर से विपक्ष का नेता के तौर पर बाबूलाल मरांडी का मनोनयन कर दिया गया है, जिनका मनोनयन ही रोका गया है, जिसकी सुनवाई होने तक उनका मनोनयन लटका रहेगा और बिना किसी विपक्ष के नेता के सदन चलता रहेगा.

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