रांची : झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन भाजपा विधायकों ने झारखंड विधानसभा के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया. इस दौरान भाजपा विधायकों ने बाहर में प्रदर्शन किया जबकि विधानसभा के सदन में भी सत्ताधारी पार्टी झामुमो और कांग्रेस को भी भाजपा ने जोरदार तरीके से घेरा. इस दौरान हंगामा के बीच वित्त मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव द्वारा पेश किये गये 2584 करोड़ का अनुपूरक बजट को भी पारित कर दिया गया. भाजपा के विधायकों ने सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन के मुद्दे के अलावा लैंड म्यूटेशन बिल और राज्य की विधि-व्यवस्था को लेकर जमकर हंगामा किया. सरना धर्म कोडड़ को लेकर आदिवासी संगठनों के मुखर विरोध के बीच भाजपा ने भी सरकार को घेरा. रांची के पुलिस गेस्ट हाउस में लड़की के चीर हरण की घटना को लेकर भी सरकार को घेरा गया. इन लोगों ने मधुपुर में प त्रकारों पर किये गये हमले के आरोपियों को निलंबित करने, चंदनकियारी इंजीनियरिंग कॉलेज को चंदनकियारी में ही बनाने, भूख से मौत के मामले, नृसिंह मंदिर में किये गये पथराव की घटना को लेकर भी विरोध दर्ज कराया गया. भाजपा नेताओं ने कहा कि झारखंड की वर्तमान सरकार अपनी नाकामियों को छिपाना चाहती है जबकि यहां के गरीब, किसान, दलित, महिला, युवा सारे लोग त्राहिमाम है. हेमंत सरकार पूरी तरह फेल है. सारठ के भाजपा विधायक और पूर्व कृषि मंत्री रणधीर सिंह ने मधुपुर में विधायकों के साथ किये गये र्दुव्यवहार का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाया. इस मामले में आरोपी इंस्पेक्टर पर कार्रवाई की मांग की.
हेमंत सोरेन और सीपी सिंह में टकराव की स्थिति हो गयी
सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन के बारे में जवाब दिया. सहायक पुलिसकर्मियों के मुद्दे को लेकर भाजपा के विधायक वेल में आकर हंगामा करने लगे. स्पीकर रवींद्रनाथ महतो के मान-मनौव्वल के बाद विधायक अपने सीट पर लौटे. इस दौरान हेमंत सोरेन ने सदन में दिये गये अपने भाषण में कहा कि सहायक पुलिसकर्मियों को वे लोग जैसे ही समझाने जाते है और सरकार के प्रतिनिधि वहां पहुंचते है, उनके जाने के ठीक बाद रांची के मोरहाबादी मैदान में विपक्षी नेता घुमने लगते है. इसका जवाब रांची के विधायक सीपी सिंह ने दिया और कहा कि मोरहाबादी मैदान है, जहां सत्ताधारी दल के अलावा विपक्ष के नेता भी जॉगिंग करने जाते है. इससे पहले सहायक पुलिसकर्मियों पर लाठीचार्ज के मुद्दे पर सदन में कार्यस्थगन का भी प्रस्ताव लाया गया, जिसको खारिज कर दिया गया. इस मौके पर हेमंत सोरेन ने कहा कि सरकार का प्रतिनिधि उनसे बातचीत किया है. कोरोना के संक्रमण काल में ऐसा जमावड़ा किया जाना गलत है. उनके आंदोलन से कोरोना के फैलने का खतरा है. लोगों की बातों को सुना जा रहा है. हेमंत सोरेन ने सदन से कहा कि सरकार और प्रशासन लोगों की बात सुने यह जरूरी है, लेकिन कोई उद्दंडता करें तो उसको रोकना भी सरकार का काम है. मानवता के नाते सरकार सभी के बारे में सोच रही है. कोई भी कानूनी कार्रवाई सहायक पुलिसकर्मियों के खिलाफ नहीं की है. लेकिन कुछ लोग उनको भड़कार सरकार की छवि खराब करना चाहते है. सरकार हठधर्मिता और गलत चीजों को मौन रहकर देख नहीं सकती है. सरकार की सहनशीलता का परिचय नहीं लिया जाना चाहिए. हेमंत सोरेन ने अपील की कि सरकार उनकी मांगों के प्रति संवेदनशील है. विपक्ष से भी उन्होंने सहयोग की अपील की. सारी प्रक्रिया को पूर्ण करने में समय लगता है. उनकी मांगों के प्रति हमारी सहानुभूति है. मैदान में खाना पीना तक सरकार मुहैया करा रही है. लेकिन बेवजह उनको भड़कार बवाल कराया जा रहा है जो गलत है और जहर बोने का काम किया जा रहा है. इसका काउंटर भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सीपी सिंह ने किया और कहा कि जनता ने आपको बहुमत दिया है, इसका मतलब यह नहीं कि आप लाठी चलाते रहे. विपक्ष के विधायक वहां जॉगिंग भी करने जाते है तो आपको लगता है कि उनको भड़का रहे है. जनता ने आपको सत्ता की चाभी सौंप दी है तो बैठकर उसका रास्ता निकालिये ना कि बेवजह की दलील दें. हालांकि, सीपी सिंह को वहां झामुमो की महिला विधायक ने कहा कि सत्ता आपको भी मिली थी, लेकिन पारा टीचरों पर लाठियां क्यों चलवायी. इस दौरान आजसू के सुप्रीमो सुदेश महतो ने कहा कि अगर सहायक पुलिसकर्मियों के बीच कोरोना फैलने का खतरा है तो सरकार को खुद पहल किया जाना चाहिए. सदन की कार्यवाही अभी चल रही है और 22 सितंबर को सदन की कार्यवाही के अंतिम दिन सिर्फ कोरोना के संक्रमण को लेकर विशेष चर्चा करायी जायेगी.