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jharkhand-bjp-babulal-marandi-got-big-relief-झारखंड भाजपा के विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष की ओर से दायर याचिका को किया रद्द, बुधवार को हाईकोर्ट को फैसला देने का दिया आदेश

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रांची : झारखंड भाजपा के विधायक दल के नेता और विपक्ष के नामित नेता बाबूलाल मरांडी को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है. सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो और विधानसभा की ओर से दायर एक याचिका को निष्पादित करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दाय याचिका को ही खारिज कर दिया है. इसकी पुष्टि झारखंड के महाधिवक्ता राजीव रंजन ने की है. महाधिवक्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाइकोर्ट को यह डायरेक्शन (निर्देश) दिया है कि बुधवार को झारखड हाईकोर्ट में दल बदल मामले की सुनवाई को पूरी कर अपना फैसला सुना दें. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब हर हाल में झारखंड हाईकोर्ट को बुधवार को अपना फैसला सुना देना होगा. गुरुवार को मकर संक्रांति की छुट्टी होगी, ऐसे में फैसला बुधवार को ही आ जाने की उम्मीद है और पूरे झारखंड की नजर उस पर टिकी रहेगी. आपको बता दें कि पिछले दिनों झारखंड हाईकोर्ट ने बाबूलाल मरांडी की याचिका पर सुनवाई करते हुए विधानसभा अध्यक्ष के न्यायाधिकरण (ट्राईब्यूनल) में में चल रहे दल बदल मामले की सुनवाई पर 13 जनवरी तक के लिए रोक लगा दी थी. इस आदेश में हाईकोर्ट ने झारखंड विधानसभा अध्यक्ष को कहा था कि जब तक फैसला नहीं आता है, तब तक विधानसभा न्यायाधिकरण मामले में कोई कार्रवावई नहीं करें. इसके खिलाफ झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और एसएलपी दायर कर दी थी. इससे पहले बाबूलाल मरांडी ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कैवियेट दायर की थी, जिसमें यह मांग की थी कि अगर सुप्रीम कोर्ट में मामला पहुंचता है तो उनकी भी बातों को सुना जाये. झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) के सुप्रीमो होने के नाते बाबूलाल मरांडी ने अपनी पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया था और खुद भी भाजपा में शामिल हो गये थे. तीन विधायक झाविमो के थे, जिसमें से दो विधायक बंधु तिर्की और प्रदीप यादव कांग्रेस में शामिल हो गये. इसके बाद उक्त मामले को लेकर झामुमो विधायक भूषण तिर्की ने इस मामले में एक केस झारखंड विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो के समक्ष दायर की थी और ममामला न्ययााधिकरण में चला गया था. इसके बाद दसवीं अनुसूची के तहत बाबूलाल मरांडी को नोटिस दिया गया था. नोटिस में बाबूलाल मरांडी से दोबारा यह पूछा गया था कि क्यों ना उनके खिलाफ दल बदल कानून के तहत कार्रवाई कर दी जाये. इसके बाद मामला हाईकोर्ट में चला गया और फिर सुप्रीम कोर्ट में चली गयी.

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