जमशेदपुर : भाजपा में 2024 को लेकर अभी से तैयारी चल रही है. लोकसभा के साथ ही झारखंड का विधानसभा चुनाव भी 2024 में ही होना है. ऐसे में भाजपा फिर से झारखंड में अपनी खोयी हुई जमीन को वापस पाना चाहती है. इस कारण भाजपा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का फोकस 2024 पर ही है और यहीं वजह है कि लगातर इसमें बदलाव किये जा रहे है. भाजपा का फोकस झारखंड पर है तो भाजपा में लगातार बदलाव हो रहा है. बताया जाता है कि भाजपा ने हाल ही में झारखंड के सारे लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र का एक निजी कंपनी के माध्यम से सर्वे कराया है और सारी रिपोर्ट को कंपाइ किया है. झारखंड के सारे 81 विधानसभा चुनाव में किस तरह पार्टी को ज्यादा जीत मिले और किस तरह फिर से झारखंड में भाजपा की सरकार बने, इसका अध्ययन किया गया है. लोकसभा की सभी 14 सीटों को हासिल करने की चुनौती को लेकर तैयारी की जा रही है. इस कड़ी में कोल्हान पर भाजपा की बड़ी नजर है, जहां के 14 विधानसभा सीट का अध्ययन करने पर पाया गया है कि झामुमो को नुकसान पहुंचाने से ही भाजपा आगे आ सकती है. इस कारण जमशेदपुर लोकसभा सीटिंग सीट पर भाजपा बेहतर कैंडिडेट को ही प्रत्याशी बनायेगी. सांसद विद्युत वरण महतो को जारी रखा जा सकता है. वहीं, लक्ष्मण गिलुवा के निधन के बाद सिंहभूम संसदीय सीट पर वैकल्पिक इंतजाम किया जा रहा है. इसके तहत सूत्रों की मानी जाये तो भाजपा चाहती है कि गीता कोड़ा को भाजपा में ही ले आया जाये. एक बड़ी सेंधमारी भाजपा करना चाहती है. सूत्र बताते है कि ईंचागढ़ के पूर्व विधायक अरविंद सिंह उर्फ मलखान सिंह को पहले भाजपा अपने खेमे में लाना चाहेगी क्योंकि ईंचागढ़ सीट से भाजपा के विधायक रह चुके साधुचरण महतो की मौत हो चुकी है. उनकी जगह बेहतर प्रत्याशी की तलाश है. वैसे अरविंद सिंह उर्फ मलखान सिंह को जमशेदपुर पश्चिम सीट पर भी प्रत्याशी बनाया जा सकता है. वहीं, खरसावां से झामुमो विधायक दशरथ गगराई, चक्रधरपुर से झामुमो विधायक और कोड़ा दंपति के करीबी सोनाराम सिंकू को भी अपने खेमे में भाजपा लाकर इस बार चुनाव में अपनी मजबूती पेश करना चाहती है. बताया जाता है कि इसको लेकर एक बड़े नेता लाइजनिंग कर रहे और एक साथ इस पर सेंधमारी की जा सकती है. कोल्हान के बड़े नेताओं और विधायकों को अपने पाले में लाने के लिए कई दौर की वार्ता हो रही है. वहीं, कई मौके पर भाजपा नेताओं के साथ झामुमो विधायक देखे गये है, जिस कारण यह संभावना है कि कई लोगों को पार्टी का साथ छोड़कर चुनाव के वक्त अपने पाला में ले आयेगी. हालांकि, इसको लेकर भाजपा कुछ अपनी ओर से टिप्पणी नहीं कर रही है.