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jharkhand-bjp-झारखंड में भाजपा असमंजस में, बाबूलाल मरांडी ने विपक्ष के नेता का नाम बदलने पर दी सहमति, सीपी सिंह या नीलकंठ हो सकते है विपक्ष के नेता, बाबूलाल ने दुमका से चुनाव लड़ने से भी किया इंकार, लुइस मरांडी ही हो सकती है प्रत्याशी, कई मुद्दों पर चल रही भाजपा के झारखंड प्रभारी के आवास पर दिल्ली में हो रही मंत्रणा

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बाबूलाल मरांडी और ओममाथुर.

रांची : झारखंड में भाजपा असमंजय की स्थिति में है. दरअसल, बाबूलाल मरांडी को विपक्ष का नेता घोषणा नहीं किया जा रहा है और यह मामला झारखंड विधानसभा में लटक चुका है. यह कब तक फैसला होगा, यह नहीं कहा जा सकता है. इस कारण भाजपा ने अब तय कर लिया है कि झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के नाम पर बाबूलाल मरांडी को बदला जा सकता है. बाबूलाल मरांडी के साथ नयी दिल्ली में भाजपा के झारखंड प्रभारी ओम माथुर की बैठक हुई. इस बैठक में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और राज्यसभा सदस्य समीर उरांव भी मौजूद थे. काफी देर तक यह बैठक हुई. खाने के मेज पर चली इस बैठक में बाबूलाल मरांडी के साथ हालात पर चर्चा की गयी. कई मुद्दें पहले बातचीत के लिए लाये गये. इस दौरान दुमका में चुनाव पर चर्चा हुई. भाजपा आलाकमान चाहती थी कि दुमका से बाबूलाल मरांडी को चुनाव लड़ाकर उनको फिर से सदन में भेजा जाये और फिर कोई तकनीकी दिक्कतें नही रह जायेगी. लेकिन दुमका से बाबूलाल मरांडी ने चुनाव लड़ने से साफ तौर पर इंकार कर दिया है और कहा है कि वे नया चुनाव कोई लड़ना नहीं चाहेंगे. जहां की जनता ने उनको चुना है, उसके साथ ही वे रहना पसंद करेंगे. इसके बाद लगभग तय हो गया है कि दुमका सीट पर भाजपा की प्रत्याशी पूर्व मंत्री लुइस मरांडी ही होगी. वहां नया प्रत्याशी देने का जोखिम भाजपा नहीं ले सकती है. इस बीच बाबूलाल मरांडी ने विपक्ष के नेता के तौर पर नाम को बदलने पर भी अपनी सहमति दे दी है. अब यह कहा जा रहा है कि बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष का मसला सुलझने तक हटा दिया जाये और नये भाजपा विधायक को नेता बनाया जाये. इस पर यह भी तय हुआ है कि बाबूलाल मरांडी की जगह अब रांची के विधायक और कद्दावर मंत्री सीपी सिंह को विपक्ष का नेता बना दिया जाये या फिर विधायक और पूर्व मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा का नाम आगे बढ़ाया जाये. नीलकंठ सिंह मुंडा को आदिवासी होने का लाभ मिलेगा जबकि एक बार फिर से गैर आदिवासी को विपक्ष का नेता बनाकर जोखिम लेने के मूड में भाजपा नहीं है, लेकिन अगर कोई गैर आदिवासी विपक्ष का नेता होगा तो सीपी सिंह का नाम ही सबसे ऊपर है. वैसे इस मीटिंग में लिये गये फैसले के बारे में किसी रतह की कोई जानकारी नहीं दी गयी है. बाबूलाल मरांडी के साथ हुई बैठक में तय तय हो गया है कि भाजपा ही चुनाव इन दोनों सीटों पर लड़ेगी.

बेरमो में बदले जा सकते है भाजपा प्रत्याशी
बेरमो में भी विधानसभा का उपचुनाव होना है. यहां से भाजपा के प्रत्याशी का नाम बदला जा सकता है. पूर्व प्रत्याशी योगेश्वर महतो को बदलकर नये नाम पर भी चर्चा हो रही है. विधानसभा चुनाव 2019 में बेरमो की सीट से राजेंद्र सिंह ने जीत हासिल की थी. कांग्रेस के राजेंद्र सिंह को 88945 वोट मिला था जबकि उनके निकटतम प्रत्याशी भाजपा के उम्मीदवार योगेश्वर महतो को 63773 वोट मिला था. वैसे काफी कुछ बदलाव होने की उम्मीद की ही बतायी जा रही है.

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