रांची/जमशेदपुर/धनबाद : झारखंड भाजपा में झामुमो और कांग्रेस की हेमंत सोरेन की सरकार को बेरमो में चुनाव प्रचार के दौरान ”चोट्टा” शब्द कहकर खुद पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रघुवर दास बिहार भेज दिये गये है. उनको अभी बेरमो में ही चुनाव प्रचार करने को कहा गया है. बेरमो और दुमका में 3 नवंबर को चुनाव होना है. चुनाव प्रचार 1 नवंबर तक ही किया जा सकता है. इस बयानबाजी के बाद उनको बिहार में प्रचार के लिए भेज दिया गया है. इस बयानबाजी से भाजपा को दुमका और बेरमो दोनों सीटों पर काफी नुकसान होता नजर आ रहा है. इसको लेकर खुद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश मीडिया में अपनी नाराजगी जता चुके है और इस तरह की बयानबाजी का विरोध करते हुए रघुवर दास को अपना व्यवहार सुधारने को कह चुके है. वहीं, केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को अब बेरमो के चुनाव में उतार दिया गया है. केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने बेरमो में चुनाव प्रचार किया तो वे उसी दौरान धनबाद भी पहुंचे. धनबाद में उन्होंने मीडिया से बातचीत की तो पत्रकारों ने रघुवर दास के बयान पर भी सवाल पूछ दिया, इस पर श्री मुंडा ने रघुवर दास को नसीहत दी. उन्होंने कहा कि राजनीति में जुबान फिसलना कतई ठीक बात नहीं है. जुबान फिसलने के परिणाण गंभीर हो जाते है. वैसे वे राज्य की हेमंत सोरेन की सरकार को भी आड़े हाथों लिया है. उन्होंने कहा कि हेमंत सोरेन भी गलत बयानबाजी कर रहे है कि कोयला रोक देंगे और देश को अंधेरे में रख देंगे. इस तरह की बात भी गलत है. (नीचे पूरी खबरें पढ़े)
मुख्यमंत्री रहते रघुवर दास के गलत व्यवहार के कारण भाजपा को हुआ नुकसान, जब-जब पावर में रहे, तब खामियाजा भुगतती रही है पार्टी
मुख्यमंत्री के तौर पर भाजपा ने रघुवर दास को आसीन कराया था. लेकिन उनके मुख्यमंत्रित्वकाल में चाहे पत्रकार हो, चाहे अफसर हो या नेता, कोई उनके आसपास नहीं जा सकता था. उनका गलत व्यवहार के कारण लोगों में उनकी छवि नाकारात्मक बन चुकी थी, जिस कारण भाजपा 2019 का चुनाव हार चुकी है. यहीं नहीं, वे तो कई बार अपने चोट्टा जैसे बयान दे चुके है. एक बार इसी तरह वे अपने नेताओं के बारे में ही चिरकुट नेता कहकर संबोधित कर चुके है. ऐसे कई वीडियो यू-ट्यूब पर है, जिसमें आप देख सकते है कि वे किस तरह का व्यवहार कर चुके है. आइएएस-आइपीएस हो या फिर आम जनता, सबको डांटकर भगा देने के कारण भाजपा को काफी नुकसान उठाना पड़ा है. रघुवर दास जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने थे तो अभय सिंह और मधु कोड़ा से लेक बाबूलाल मरांडी तक को बाहर का रास्ता दिखाया गया था. इस बार चुनाव हारने के बाद थोड़ा रघुवर दास की बोली सुधरी थी, लेकिन जैसे ही राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाये गये, उसके बाद उनकी बोली में फिर से वहीं रफ्तार है, जो बेरमो में दिखी और हो सकता है कि इस बोली के कारण भाजपा को नुकसान उठाना पड़े. 2019 का चुनाव झारखंड विधानसभा का जो हुआ, उसमें खराब व्यवहार की चर्चा रही, जिससे भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था. यह पहला चुनाव था, जो विकास से ज्यादा व्यवहार पर लड़ा गया था और इसका रिजल्ट खुद भाजपा भोग रही है.