
रांची/दुमका/बेरमो : झारखंड के दो सीटों के लिए उपचुनाव का रिजल्ट भी 10 नवंबर को आने वाला है. वैसे तो पूरे देश की नजर बिहार के चुनाव के रिजल्ट पर होगा, लेकिन उपचुनाव में झारखंड की दो अहम सीट बेरमो और दुमका पर भी सबकी नजरें रहेगी. इसको लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी सरकार का टेस्ट फ्लोर भी माना जा रहा है क्योंकि इस उपचुनाव में सरकार के दस माह के कामकाज का रिजल्ट के रुप में भी देखा जा रहा है. वैसे आपको बता दें कि दस नवंबर को दुमका और बेरमो सीट के लिए उपचुनाव की गिनती सुबह आठ बजे से शुरू हो जायेगी. इसको लेकर प्रशासनिक तैयारियां पूरी कर ली गयी है. दुमका में उपचुनाव की मतगणना 18 राउंड में होगा तो बेरमो में 17 राउंड की गिनती होगी. दोनों ही सीटों पर भाजपा के साथ महागठबंधन के प्रत्याशियों का मुकाबला है. दुमका सीट पर सीधी टक्कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के भाई और गुरुजी शिबू सोरेन के सबसे छोटे बेटे बसंत सोरेन के साथ भाजपा की रघुवर सरकार में मंत्री रह चुकी लुइस मरांडी के साथ है जबकि बेरमो में राज्य के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेंद्र सिंह के पुत्र कुमार जयमंगल उर्फ अनूप सिंह के साथ भाजपा के प्रत्याशी योगेश्वर महतो बाटुल के बीच है. दुमका और बेरमो के उपचुनाव के लिए मतदान 3 नवंबर को हुआ था, जिसमें दुमका में 65.27 फीसदी जबकि बेरमो में 60.20 फीसदी मतदान हुआ था. वैसे 2019 के विधानसभा चुनाव में दुमका में 67.14 फीसदी और बेरमो में 60.93 फीसदी मतदान हुआ था. इस चुनाव को इसलिए अहम माना जा रहा है क्योंकि यहां चार मुख्यमंत्रियों का प्रतिष्ठा दावं पर है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद दुमका सीट से चुनाव जीते थे, जहां से इस्तीफा देने के बाद उनकी सीट पर उनके छोटे भाई बसंत सोरेन को उन्होंने प्रत्याशी बनाया है. हेमंत सोरेन खुद बरहेट और दुमका से विधानसभा चुनाव 2019 में लड़े थे, जहां दोनों से उन्होंने जीत दर्ज की थी, जिसमें उन्होंने दुमका की सीट छोड़ दी थी. यह क्षेत्र सोरेन परिवार का क्षेत्र माना जाता रहा है, जिस कारण भी बड़ा प्रतिष्ठा का विषय है जबकि बेरमो सीट कांग्रेस के लिए परंपरागत सीटों में से एक माना जाता है, जहां से राजेंद्र बाबू चुनाव जीतते रहे थे, इस तरह उनके पुत्र को टिकट दिया गया है, जिस कारण उनकी जगह पर अनूप सिंह चुनाव जीतेंगे या नहीं, यह देखने वाली बात होगी. मुख्यमंत्री खुद बसंत सोरेन को चुनाव जीताने के लिए प्रयासरत थे. इसी तरह शिबू सोरेन भी पूर्व मुख्यमंत्री रहे है और उनकी परंपरागत सीट है, जहां उनकी जीत सोरेन परिवार के लिए भी काफी मायने रखेगा. वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने भी अपनी पूरी ताकत दुमका में लगा दी थी. झाविमो का विलय करने के बाद बाबूलाल मरांडी का यह पहला चुनाव था, जिसका रिजल्ट उनकी भाजपा में वापसी को सही या गलत करार देने के लिए टेस्टिंग फ्लोर माना जा रहा है. यह उनका भविष्य का राजनीतिक कैरियर भी तय कर सकता है. अगर जीत होती है तो कद बाबूलाल मरांडी का बढ़ सकता. इस चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास खुद बेरमो में चुनाव प्रचार में थे. (चुनाव से संबंधित और खबरें नीचे पढ़ें)
बेरमो विधानसभा सीट में कैसे हुई थी कांग्रेस के राजेंद्र सिंह की जीत
विधानसभा चुनाव 2019 में बेरमो की सीट से राजेंद्र सिंह ने जीत हासिल की थी. इस सीट से कई बार राजेंद्र प्रसाद सिंह चुनाव जीतते रहे है. 2019 के चुनाव में कुल 21 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. इसमें पांच दलों को ही पांच हजार से अधिक वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के राजेंद्र सिंह को 88945 वोट मिला था जबकि उनके निकटतम प्रत्याशी भाजपा के उम्मीदवार योगेश्वर महतो को 63773 वोट मिला था. राजेंद्र सिंह यहां 25172 वोट से चुनाव जीते थे. राजेंद्र बाबू को कुल 46.88 फीसदी वोट मिला था जबकि भाजपा को कुल 33.61 फीसदी वोट मिला था. तीसरे स्थान पर वहां आजसू थी, जिनके उम्मीदवार काशीनाथ सिंह थे, जिनको कुल 16534 वोट मिले थे जबकि सीपीआइ के आफताब आलम खान को 5695 वोट मिले थे, जो चौथे नंबर पर थे. इसके बाद सारे उम्मीदवार को दो हजार से कम वोट मिले थे. (चुनाव से संबंधित और खबरें नीचे पढ़ें)
दुमका में हेमंत सोरेन ने दी थी मंत्री रही लुइस मरांडी को पटखनी
दुमका सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जीत हासिल की थी. हेमंत सोरेन ने रघुवर सरकार में मंत्री लुइस मरांडी को चुनाव में हराया था. दुमका सीट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 45.86 फीसदी वोट मिला था जबकि दूसरे स्थान पर रही लुइस मरांडी को कुल 40.91 फीसदी वोट मिला था. झाविमो के उम्मीदवार को 3156 वोट जबकि जनता दल के मार्शल टुडू को 2357 वोट मिले थे. दुमका से कुल 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, जिसमें से 12 उम्मीदवार की जमानत ही जब्त हो गयी थी. यहां चुनाव में हेमंत सोरेन को कुल 81007 वोट मिले थे जबकि भाजपा की लुइस मरांडी को कुल 67819 वोट मिले थे. हेमंत सोरेन ने यहां मंत्री रही लुइस मरांडी को 13188 मत से पराजित किया था.