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jharkhand-bye-election-बेरमो में राजेंद्र सिंह के परिवार में हो गया फैसला, अनूप ही लड़ेंगे चुनाव, कांग्रेस की हरी झंडी का इंतजार, दुमका में शिबू-हेमंत फैमिली में अभी सहमति बाकि, भाजपा के टिकट को लेकर ऊहापोह

राशिफल

जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह अपने स्वर्गीय पिता राजेंद्र सिंह के साथ. फाइल फोटो.

जमशेदपुर : झारखंड में उपचुनाव को लेकर तैयारी तेज है. दुमका विधानसभा सीट को लेकर तैयारी के क्रम में राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद दौरा कर रहे है तो बेरमो में कांग्रेस की सीटिंग सीट को बचाने के लिए खुद प्रदेश अध्यक्ष डॉ रामेश्वर उरांव अपना दौरा समाप्त कर लौट आये है. वैसे इन दोनों सीटों पर फैमिली ड्रामा चल रहा है. लेकिन बेरमो विधानसभा सीट में पूर्व मंत्री और इंटक के राष्ट्रीय महासचिव स्वर्गीय राजेंद्र सिंह के परिवार में चल रहे ऊहापोह को शांत कर दिया गया है. परिवार में आपसी सहमति बन गयी है कि अब चुनाव में स्वर्गीय राजेंद्र सिंह के पुत्र जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह ही दावेदार होंगे. कुमार गौरव को भी टिकट का दावेदार बताया जा रहा था, जो वर्तमान में विधायक और पूर्व मंत्री कमलेश सिंह के दामाद भी है, जिसको लेकर परिवार में विवाद होने की बातें सामने आयी थी, लेकिन अब इस विवाद को समाप्त कर दिया गया है और यह फाइनल कर लिया गया है कि अनूप सिंह ही टिकट के दावेदार होंगे. इसको लेकर जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह ने http://www.sharpbharat.com से बात करते हुए कहा है कि किसी तरह का कोई विवाद ही नहीं है. इसको भाजपा और राजेंद्र बाबू के पुराने विरोधियों द्वारा अपना स्वार्थ साधने के लिए विवाद को पैदा कराने की कोशिश और विवाद का हवाला देकर यह सारा कुछ किया जा रहा था, लेकिन कोई विवाद ही नहीं है और यह साफ है कि परिवार से दावेदारी उनकी है, लेकिन कांग्रेस टिकट देगी तो ही चुनाव लड़ा जा सकता है. कांग्रेस आलाकमान का फैसला ही सर्वोपरि होता है. आपको बता दें कि राज्य के पूर्व मंत्री और इंटक के राष्ट्रीय महासचिव राजेंद्र सिंह की मौत के बाद बेरमो सीट खाली हो चुका है, जिसके लिए उपचुनाव होना है. यह बातें सामने आयी थी कि राजेंद्र सिंह के दोनों बेटे में टिकट की दावेदारी को लेकर ही विवाद है, लेकिन इस विवाद का पटाक्षेप हो गया है. बेरमो सीट को राजेंद्र सिंह के लिए सुरक्षित माना जाता है. विधानसभा चुनाव 2019 में बेरमो की सीट से राजेंद्र सिंह ने जीत हासिल की थी. इस सीट से कई बार राजेंद्र प्रसाद सिंह चुनाव जीतते रहे है. 2019 के चुनाव में कुल 21 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे. इसमें पांच दलों को ही पांच हजार से अधिक वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के राजेंद्र सिंह को 88945 वोट मिला था जबकि उनके निकटतम प्रत्याशी भाजपा के उम्मीदवार योगेश्वर महतो को 63773 वोट मिला था. राजेंद्र सिंह यहां 25172 वोट से चुनाव जीते थे. राजेंद्र बाबू को कुल 46.88 फीसदी वोट मिला था जबकि भाजपा को कुल 33.61 फीसदी वोट मिला था. तीसरे स्थान पर वहां आजसू थी, जिनके उम्मीदवार काशीनाथ सिंह थे, जिनको कुल 16534 वोट मिले थे जबकि सीपीआइ के आफताब आलम खान को 5695 वोट मिले थे, जो चौथे नंबर पर थे. इसके बाद सारे उम्मीदवार को दो हजार से कम वोट मिले थे. इस सीट के लिए भाजपा के उम्मीदवार में बदलाव होगा, ऐसा नहीं कहा जा सकता है. वैसे अंतिम समय में प्रत्याशी को बदला भी जा सकता है.

दुमका सीट पर हेमंत सोरेन की भतीजी की दावेदारी, बसंत पर सहमति बनाने की कोशिश
दुमका सीट पर अभी झामुमो के सुप्रीमो शिबू सोरेन और उनके परिवार का वर्चस्व होता है. इस सीट को खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने खाली कर दिया है. इसको लेकर हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन (जामा से विधायक और गुरुजी के बेटे स्वर्गीय दुर्गा सोरेन की पत्नी) चाहती है कि उनकी बेटी को टिकट दुमका से मिले जबकि खुद हेमंत सोरेन चाहते है कि बसंत सोरेन को टिकट दिया जाये. हालांकि, अभी सहमति नहीं बन पायी है, लेकिन यह कोशिश हो रही है कि बसंत सोरेन पर आपसी सहमति बनायी जाये. वैसे सीता सोरेन के तल्ख तेवर मुश्किलें बढ़ाती नजर आ रही है. दुमका सीट से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 2019 में जीत हासिल की थी. हेमंत सोरेन ने रघुवर सरकार में मंत्री लुइस मरांडी को चुनाव में हराया था. दुमका सीट पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 45.86 फीसदी वोट मिला था जबकि दूसरे स्थान पर रही लुइस मरांडी को कुल 40.91 फीसदी वोट मिला था. झाविमो के उम्मीदवार को 3156 वोट जबकि जनता दल के मार्शल टुडू को 2357 वोट मिले थे. दुमका से कुल 14 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे, जिसमें से 12 उम्मीदवार की जमानत ही जब्त हो गयी थी. यहां चुनाव में हेमंत सोरेन को कुल 81007 वोट मिले थे जबकि भाजपा की लुइस मरांडी को कुल 67819 वोट मिले थे. हेमंत सोरेन ने यहां मंत्री रही लुइस मरांडी को 13188 मत से पराजित किया था. साथ ही बरहेट से भी हेमंत सोरेन चुनाव जीते थे, जिस कारण दुमका की सीट को उन्होंने छोड़ दिया, जिस कारण मध्यावधि चुनाव दुमका में हो रहा है. ऐसे में भाजपा के समक्ष मुश्किल है कि क्या वे लोग फिर से लुइस मरांडी पर ही अपना भरोसा जतायेंगे या प्रत्याशी को बदलेंगे.

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