नयी दिल्ली/रांची : झारखंड कांग्रेस के नये प्रभारी अविनाश पांडे 29 जनवरी को पहली बार रांची आ रहे है. वे कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव भी है. पहली बार वे पदाधिकारी बनने के बाद रांची आ रहे है. उनके तय कार्यक्रम के तहत दिल्ली से सुबह 10 बजकर 55 मिनट पर निकलेंगे. दोपहर 12 बजकर 50 मिनट पर रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट में वे लैंड करेंगे. दोपहर 1 बजकर 15 मिनट से दोपहर 2 बजकर 45 मिनट तक वे भोजन समेत अन्य काम करेंगे. इसके बाद वे तीन बजे रांची के मोरहाबादी संगम गार्डेन में सारे लोगों से मुलाकात करेंगे. वहां पीसीसी अध्यक्ष, विधायक दल के नेता, उपनेता, मंत्री, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष, सांसद, विधायक, पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, सभी मोरचा और संगठन से जुड़े सेारे वरीय नेताओं के साथ मीटिंग करेंगे. इसके बाद वे शाम को छह बजे कांग्रेस के विधायकों के साथ रांची के डोरंडा में जल संसाधन गेस्ट हाऊस एजी मोड़ में मीटिंग करेंगे. वे उसके दूसरे दिन ही नयी दिल्ली लौट जायेंगे. (नीचे देखे पूरी खबर)
कांग्रेस के नये प्रदेश प्रभारी से मिले सुखदेव भगत और प्रदीप बलमुचू, वापसी तय
झारखंड प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत और प्रदीप कुमार बलमुचू की वापसी लगभग तय है. शुक्रवार को वे लोग नयी दिल्ली में जाकर कांग्रेस के नये प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे से मुलाकात की है. दोनों ने एक साथ ही प्रदेश प्रभारी से मुलाकात की. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने उनकी ज्वाइनिंग को हरी झंडी दे दी है. बताया जाता है कि करीब आधे घंटे तक इन दोनों नेताओं से कांग्रेस के नये प्रदेश प्रभारी की मुलाकात हुई है. इन दोनों नेताओं ने कांग्रेस छोड़कर दूसरी पार्टी में जाने का पछतावा किया है और कर्तव्यनिष्ठ कांग्रेसी बनकर रहने का आश्वासन दिया है. यह संभव है कि वे रांची के दौरे के दौरान ही पार्टी में शामिल कर लिये जायेंगे. पूर्व प्रदेश प्रभारी और अब भाजपा में शामिल आरपीएन सिंह इन दोनों की वापसी को रोके हुए थे क्योंकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव नहीं चाहते है कि इन दोनों की वापसी हो जाये. चूंकि, लोहरदगा सीट से खुद रामेश्वर उरांव चुनाव जीते है और उनके खिलाफ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में सुखदेव भगत चले गये थे और उनके ही खिलाफ चुनाव लड़े थे. वहीं, श्री बलमुचू ने भी कांग्रेस को छोड़कर घाटशिला विधानसभा सीट से आजसू के टिकट पर चुनाव लड़े थे. इसको लेकर यह आपत्ति जतायी गयी थी कि प्रदेश अध्यक्ष जैसे पद पर रहते हुए ये लोग पार्टी छोड़ दिये तो कैसे इनकी इंट्री हो सकती है.