नयी दिल्ली/रांची : झारखंड कांग्रेस के नये प्रभारी अविनाश पांडे ने अपना कामकाज संभाल लिया है. उन्होंने कामकाज संभालने के बाद साफ तौर पर कहा है कि वे इस सप्ताह ही रांची आयेंगे और कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे. उन्होंने नयी दिल्ली में टीवी चैनल से बातचीत करते हुए कहा कि वहां सरकार अच्छा काम कर रही है. वहां का प्रदेश कमेटी अच्छा काम करती आयी है और किसी तरह का कोई डर नहीं है. सारे विधायक एक साथ है. इसको लेकर कुछ लोग अफवाह उड़ा रहे है, लेकिन कांग्रेस पूरी मजबूती के साथ पार्टी काम कर रही है और आने वाले चुनाव को लेकर भी तैयारी की जायेगी. सदस्यता अभियान भी तेजी से चलाया जायेगा. अविनाश पांडेय ने कहा कि वे जल्द ही एक से दो दिनों में फैसला ले लेंगे. अविनाश पांडेय 29 जनवरी को झारखंड आने की संभावना है, जिसके बाद गतिविधियां और तेज हो जायेगी. (नीचे देखे पूरी खबर)
आरपीएन सिंह के भाजपा में जाने के बाद कांग्रेस को अपने विधायकों को जोड़े रहने की मशक्कत शुरू, विधायकों के साथ आलमगीर ने की बैठक
कांग्रेस के पूर्व झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह भाजपा में शामिल हो चुके है. वे झारखंड के प्रभारी रहते हुए कांग्रेस के सारे विधायकों से जुड़ रहे है. उनके भाजपा में जाने के बाद अब कांग्रेस काफी डरी हुई है कि उनके विधायकों के साथ आरपीएन सिंह गठजोड़ कराकर कहीं सरकार को ही अस्थिर नहीं कर दें. कांग्रेस के अभी 16 विधायक है. इसमें से अगर 10 विधायकों को भाजपा तोड़ लेती है तो कांग्रेस के नेताओं का ही विलय हो जायेगा और दल बदल कानून भी लागू नहीं होगा. अलबत्ता भाजपा के पास अपनी 25 विधायक और आजसू के दो विधायक है. संख्या 27 पर होती है और अगर 10 विधायक कांग्रेस के आ जाते है तो 37 विधायक हो जाते है. 81 सीटों के विधानसभा में 41 विधायकों का समर्थन जुटाने की जुगत में भाजपा लग जायेगी या फिर सरकार गिर जायेगी. ऐसे में इसको बचाने की कवायद अभी से ही शुरू कर दी गयी है. कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने गुरुवार को विधायकों के साथ अपने आवास पर बैठक की और बदलते हालात पर चर्चा की. हालांकि, इससे कांग्रेस खुद इनकार कर रही है. लेकिन हकीकत यह है कि कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की साजिश हो चुकी है और इस मामले में कई लोग जेल भी जा चुके है. (नीचे देखे पूरी खबर)
सुखदेव भगत की हो सकती है वापसी, बलमुचू की वापसी की भी तैयारी
झारखंड प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुखदेव भगत और प्रदीप कुमार बलमुचू की वापसी की भी तैयारी की जा रही है. हालांकि, आरपीएन सिंह इन दोनों की वापसी को रोके हुए थे क्योंकि पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के मंत्री डॉ रामेश्वर उरांव नहीं चाहते है कि इन दोनों की वापसी हो जाये. चूंकि, लोहरदगा सीट से खुद रामेश्वर उरांव चुनाव जीते है और उनके खिलाफ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में सुखदेव भगत चले गये थे और उनके ही खिलाफ चुनाव लड़े थे. वहीं, श्री बलमुचू ने भी कांग्रेस को छोड़कर घाटशिला विधानसभा सीट से आजसू के टिकट पर चुनाव लड़े थे. इसको लेकर यह आपत्ति जतायी गयी थी कि प्रदेश अध्यक्ष जैसे पद पर रहते हुए ये लोग पार्टी छोड़ दिये तो कैसे इनकी इंट्री हो सकती है. दूसरी ओर, इस बदलते घटनाक्रम के बीच सुखदेव भगत नयी दिल्ली चले गये है. सुखदेव भगत के साथ बेरमो के विधख़यक जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह भी है. उनका दिल्ली दौरा सुर्खियों में बना हुआ है. सुखदेव भगत के साथ कांग्रेस के महासचिव केसी वेणुगोपाल की मुलाकात संभावित है. पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भी उनकी मुलाकात हो सकती है. बताया जाता है कि इन दोनों नेताओं की इंट्री पर प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने मुहर लगा दी है.