रांची : झारखंड में सरकार गिराने की साजिश मामले में तीन लोगों की गिरफ्तारी के बाद सत्तारूढ़ गठबंधन में शामिल कांग्रेस का अंदरूनी विवाद भी गहरा गया है. कांग्रेस विधायक अनूप सिंह उर्फ जयमंगल सिंह ने कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज कराकर इस मामले में जांच का आग्रह किया गया था. वहीं विधायक अनूप सिंह द्वारा उठाये गये इस कदम पर पार्टी की राष्ट्रीय सचिव सह महगामा विधायक दीपिका पांडेय सिंह ने ही सवाल उठाया है. दीपिका पांडेय सिंह का कहना है कि थाने में शिकायत करने या इस तरह की बात को सार्वजनिक करने के पहले पार्टी के अंदर ही चर्चा होनी चाहिए थी. दीपिका का यह भी कहना है कि इस तरह के मुद्दे पर पार्टी विधायकों को सार्वजनिक रूप से अपनी बातें रखने के बजाय पार्टी फोरम पर ही बात करनी चाहिए. उन्होंने यह भी सुझाव दे डाला कि यदि भाजपा को सत्ता से बाहर रखना जरूरी है, तो पार्टी को हेमंत सरकार को बाहर से समर्थन देना चाहिए. साथ ही उन्होंने स्थिति में सुधार नहीं होने पर त्यागपत्र देने की बात तक कह डाली. दूसरी तरफ पार्टी के कुछ नेताओं का यह मानना है कि दीपिका पांडेय सिंह ने जो बातें रखी, वह अपने आप में पार्टी की नीति और दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है. जिस तरह से वह अनूप सिंह और दूसरे विधायकों को अपनी बात पार्टी फोरम में रखने की बात कह रही है तो उन्हें भी यह बात सार्वजनिक रूप से कहने के बजाय पार्टी फोरम में ही रखनी चाहिए थी. वहीं हेमंत सोरेन सरकार में शामिल होने का फैसला पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व का है. ऐसे में दीपिका को अपना यह सुझाव भी पार्टी फोरम में ही रखना चाहिए था कि सरकार को बाहर से समर्थन दिया जाए. पार्टी के कुछ नेता इस बात को लेकर भी खासे नाराज है कि जिस तरह से छोटी-छोटी बातों को लेकर वह गोड्डा में पुलिस पदाधिकारियों से उलझ जा रही है. इससे पूरी पार्टी की छवि खराब हो रही है. दीपिका पांडेय सिंह की नसीहत और वह भी सार्वजनिक रूप से दिये गये सुझाव से नाराज कांग्रेस विधायकों और नेताओं का यह कहना है कि करीब 19 महीने के हेमंत सोरेन सरकार के शासनकाल में सरकार के खिलाफ और प्रदेश नेतृत्व के खिलाफ जितनी बयानबाजी उन्होंने की है उतनी किसी अन्य विधायक या नेता ने नहीं की. कांग्रेस संगठन के कुछ लोगों को यह भी अहसास हो रहा है कि जब से उन्हें राष्ट्रीय सचिव बनाते हुए उत्तराखंड में सह प्रभारी जिम्मेवारी सौंपी गयी है, तब से वह झारखंड प्रदेश संगठन पर भी हावी होना चाह रही है. वहीं कुछ नेता उत्तराखंड में पार्टी संगठन को मजबूत करने की बजाय दीपिका पांडेय सिंह द्वारा झारखंड प्रदेश के मामले में हस्तक्षेप की कोशिश को भी अधिकारों का हनन मान रहे है. पिछले दिनों इसी तरह की छोटी बातों को लेकर दिल्ली में भी दीपिका पांडेय सिंह का एक जिलाध्यक्ष के साथ बकझक की खबर भी आयी थी और दोनों नेताओं ने एक-दूसरे को देख लेने की चेतावनी दी थी.