

रांची : झारखंड कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने चारों कार्यकारी अध्यक्ष के साथ कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मुलाकात की. उनके साथ कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह भी थे. करीब एक घंटे की यह मुलाकात नयी दिल्ली में हुई. इस मुलाकात के दौरान राजेश ठाकुर के अलावा कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष गीता कोड़ा, शहजादा अनवर, बंधु तिर्की और जलेश्वर महतो भी थे. एक घंटे की मुलाकात के दौरान साफ तौर पर पांचों को कहा गया है कि हर हाल में कांग्रेस को झारखंड में मजबूत करना है. संगठन को चुनाव की तैयारियों में पूरी तरह से झोंक देने को कहा गया है और जरूरत पड़ने पर जिले के सारे अध्यक्षों को बदल देने को कहा गया है. जंग खायी हुई व्यवस्था में नयी जान फूंकने की कोशिश कांग्रेस में की गयी है. इसके तहत सारे जिला अध्यक्षों को बदलने को कहा गया है. अगर योग्य जिला अध्यक्ष है तो उसको रखने की हिदायत दी गयी है. मीटिंग के बाद नयी दिल्ली में पत्रकारों को राजेश ठाकुर ने बताया कि मीटिंग में निर्देश दिया गया है कि कांग्रेस को मजबूत बनाना है. इस मजबूती के लिए जरूर वे लोग कदम उठायेंगे और जरूरत पड़ेगी तो सबके साथ बैठक कर कोई ना कोई रास्ता जरूर निकालेंगे. इस दौरान गीता कोड़ा ने कहा कि जरूर बेहतर कांग्रेस बनाने के लिए झारखंड में वे लोग हर संभव कोशिशें करेंगे. (नीचे पूरी खबर पढ़ें)


झारखंड कांग्रेस में कई लोगों को मिलेगी इंट्री, बलमुचू, सुखदेव की पाबंदी हट सकती है
झारखंड कांग्रेस में कई नये लोगों को जगह मिल सकती है. राजेश ठाकुर की कमेटी में कार्यकारी अध्यक्ष के अलावा कौन लोग रहेंगे, इसको लेकर कयास लगाये जा रहे है. प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह के नेतृत्व में संगटन को मजबूत बनाया जायेगा. कई खेमों में बंटी कांग्रेस को एकसूत्र में पिरोने की मांग उठायी गयी. चूंकि, राजेश ठाकुर निर्विवाद नेता माने जाते है और पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी के राजनीतिक सलाहकार रह चुके है और एनएसयूआइ के जिला अध्यक्ष से लेकर कई पदों पर रह चुके है, इस कारण उनको आगे आने की बात बतायी जा रही है. इस पूरे प्रकररण में प्रदीप कुमार बलमुचू और सुखदेव भगत की इंट्री भी मिल सकती है क्योंकि रामेश्वर उरांव ने उनकी इंट्री को रोक दी थी क्योंकि वे चुनाव के पहले पार्टी को छोड़कर चले गये थे. इन दोनों की इंट्री के साथ ही सुबोध कांत सहाय, राज्यसभा सांसद धीरज साहू, रामेश्वर उरांव, डॉ अजय कुमार, आलमगीर आलम सरीखे नेताओं के बीच समन्वय स्थापित करना भी राजेश ठाकुर के लिए बड़ी चुनौती होगी.