रांची : झारखंड के पूर्व सीएम रघुवर दास ने शुक्रवार को राजधानी रांची के रांची प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस कर मौजूदा हेमंत सरकार पर जमकर निशाना साधा. उनके साथ मीडिया प्रभारी, सह मीडिया प्रभारी योगेंद्र प्रताप सिंह और सोशल मीडिया प्रभारी राहुल अवस्थी मौजूद. अपने संवाददाता सम्मेलन में रघुवर दास ने कहा कि झारखंड की हेमंत सरकार के 25 माह के कार्यकाल में कार्य नहीं बल्कि एक से बढ़कर एक कारनामे हुए हैं. सरकार जल, जंगल और जमीन का सौदा कर रही है. राज्य में बालू, पत्थर, कोयला व खनिज पदार्थों का खुलेआम अवैध धंधा चल रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि संथाल परगना में बालू व पत्थर का अवैध धंधा एक भाई के जिम्मे आ गया है, वहीं कोयले का अवैध काम दूसरे भाई के हाथ में है. ये अवैध काम पूरी तरह से संगठित रूप से चल रहा है. पुलिस प्रशासन को भी इस काम में लगाया गया है. हर जगह इन दोनों के अनुमति के बिना कोई भी काम नहीं कर सकता है. चाहे किसी के पास सरकारी अनुमति के रूप में लाइसेंस ही क्यों न हो. रघुवर दास ने कहा कि झामुमो के विधायक ही कई बार अवैध खनन, पत्थरों की ढुलाई के खिलाफ बोलते रहे हैं. अखबारों में भी अवैध खनन, बालू-पत्थर की ढुलाई के खिलाफ समय-समय पर खबरें प्रकाशित होती रहती हैं. कोर्ट की फटकार का भी असर नहीं हो रहा है. सरकार की ओर से इन्हें रोकने का प्रयास नहीं किया गया. रोके भी तो कौन? जो काम सरकार की सरपरस्ती में चल रहा हो, वह रूक ही नहीं सकता. रघुवर दास काफी हमलावर रहे. कहा कि 25 माह में लूट इतनी कि जिसे एक प्रेस कांफ्रेस के माध्यम से लोगों तक नहीं पहुंचाया जा सकता है इसलिए पांच प्रमंडलों की लूट कथा को प्रमंडलवार उदभेदन किया जायेगा. इस बार सरकारी संरक्षण में संथाल परगना और कोल्हान में हो रही लूट के बारे में आपके माध्यम से जनता तक पहुंचाने का प्रयास होगा. वर्तमान सरकार में बालू घाटों की नीलामी के मामले में भी काफी बड़ा घोटाला किया गया है. वर्ष 2019 में भाजपा सरकार के कार्यकाल में राज्य विभिन्न जिलों में अवस्थित बालू घाटों के संबंध में एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट मांगे गए थे और पूरी प्रक्रिया के उपरांत सफल कंपनियों तथा व्यक्तियों के विषय में निर्णय भी लिया जा चुका था. इस बीच सरकार बदल गयी. प्रक्रिया पूरी होने के बावजूद संबंधित पट्टों का निष्पादन करने के बजाए सभी मामलों को लंबित रखा गया. इसके साथ ही ज्यादातर पार्टियों को उनकी इएमडी की राशि वापस कर दी गई। 25 माह बीत जाने के बाद भी स्थिति यथावत बनी हुई है ताकि बालू का अवैध उठाव हो सके. बालू माफियाओं ने तो नदियों में बने पुलों को भी बालू हटाकर कमजोर कर दिया है, जिसका उदाहरण पिछले दिनों देखने को मिला. सरकार नहीं चेती तो आनेवाले दिनों में और पुल गिरेंगे. दुमका जामा-रामगढ़ में भी अवैध बालू का उत्खनन जोरों पर है. जामा के भूरभूरी नदी से रोजाना 20 लाख रुपये से ज्यादा की बालू सरकार के संरक्षण में बाहर भेजी जा रही है. झारखंड की पहचान व सौंदर्य यहां के पहाड़-पर्वत हैं. हेमंत सरकार की सरपरस्ती में झारखंड से पत्थरों का अवैध धंधा उफान पर है. संथाल परगना में तो माफिया राज चल रहा है. यह बात उच्च न्यायालय को भी कहनी पड़ी. दुमका समेत पूरे संथाल परगना में खुलेआम पशु तस्करी की जा रही है. झामुमो के बड़े-बड़े नेता इस धंधे में संलिप्त हैं.
जल-जंगल और जमीन को केवल नारा बना दिया
रघुवर दास ने कहा कि जल, जंगल और जमीन को केवल नारा मानने वाली हेमंत सरकार के राज में जंगलों की भी अवैध कटाई जोरों पर है. लॉकडाउन के समय ही आठ जिलों में अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हुई. रांची, चाईबासा का सारंडा जंगल, हजारीबाग, बोकारो, पलामू, जामताड़ा, दुमका व अन्य जिलों में हजारों पेड़ काट कर माफियाओं के द्वारा बेच दिये गये. जंगलों की दुहाई देनेवाले अब अपने बिल में छिप गये हैं. हाल ही में आये भारत सरकार के आंकड़ों के अनुसार झारखंड में वन व झाड़ियों का घनत्व पिछले दो साल में घटा है.
कोलहान में शाह ब्रदर्श का मामला
श्री दास ने कहा कि उनकी सरकार के समय कड़ाई करके पुराने अवैध खनन मामले में दंड के रूप में 4000-4500 करोड़ रुपये की राशि सरकारी खजाने में जमा कराई गई. वहीं वर्तमान सरकार तो उच्च न्यायालय के आदेश की भी धज्जियां उड़ाने से भी परहेज नहीं कर रही है. ताजा मामला शाह ब्रदर्श का है. शाह ब्रदर्स के मामले तो उच्च न्यायालय डिविजन बेंच के आदेश धज्जियां उड़ाई गई. उच्च न्यायालय ने LPA No. 351 of 2018 मामले में एक अक्टूबर 2018 को दिये निर्णय के अनुसार उक्त कंपनी को 80 करोड़ रुपए जमा करने और सितंबर 2020 तक पूरी दंड राशि के 250 करोड़ जमा कर देना था. उक्त कंपनी द्वारा रघुवर दास के कार्यकाल लगभग 100 करोड़ रुपए जमा कराए गए. शर्तों पूरी नहीं करने के कारण उस कंपनी की माइनिंग लीज हमारी सरकार ने रद्द कर दी.