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jharkhand-jmm-politics-झामुमो में लग चुकी है आग ! डगमगा सकती है सरकार, मुख्यमंत्री की भाभी सीता सोरेन ने ही खोल दिया है मोर्चा, पार्टी के महासचिव के खिलाफ उठायी मशाल, जानें क्या चल रहा झामुमो की अंदरुनी राजनीति और क्या हो रहा है झारखंड की सियासत में घालमेल

राशिफल

गुरुजी शिबू सोरेन की फाइल फोटो.

रांची : झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झामुमो में आग लग चुकी है. झामुमो में खुद के ही चिंगारी से आग लगी है. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की भाभी और जामा से विधायक सीता सोरेन के पत्र ने यह आग को हवा दे दी है. झामुमो के केंद्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य गुरुजी शिबू सोरेन को सीता सोरेन ने लिखे मार्मिक पत्र में पार्टी के महासचिव बिनोद पांडेय के खिलाफ आग उगला है. उन्होंने झामुमो को कुछ लोगों द्वारा ”जेबी संस्था” (पॉकेट में चलने वाली संस्था) बनाने का आरोप लगाया है. सीता सोरेन ने अपने पत्र में लिखा है कि उनके पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन ने अपने पिता गुरुजी शिबू सोरेन के साथ मिलकर झामुमो को आगे ले गये है. खून पसीने से पार्टी को सींचा है. पार्टी के चंद लोग पार्टी को अपनी जेबी संस्था बनाने की मंशा के साथ काम कर रहे है. उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि विगत कुछ दिनों पूर्व पार्टी के महासचिव और विधायक होने के नाते वे (सीता सोरेन) चतरा का दौरा करने गयी थी, जहां पार्टी के महासचिव द्वारा वहां के जिला अध्यक्ष समेत तमाम लोगों को मिलने आने से रोक दिया था तो कई नेता जो उनसे मिले थे, उनके खिलाफ कार्रवाई भी कर दी थी. बिनोद पांडेय के आदेश से ही पार्टी से कई नेताओं को निष्कासित कर दिया गया था. सीता सोरेन ने यहां तक लिखा है कि उनके खिलाफ केंद्रीय कार्यालय में भी कुछ लिखाकर बिनोद पांडेय रखे है. इस मामले में सीता सोरेन ने गुरुजी शिबू सोरेन से कार्रवाई करने की मांग की है. वैसे इस आग को तुरंत काबू नहीं किया गया तो मौके की ताक पर बैठी भाजपा अपना गुल खिला सकती है. इस कारण मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को इस मसले में हस्तक्षेप कर मामले को शांत कराने की जरूरत है नहीं तो सरकार के अस्थिर होने की संभावना बढ़ सकती है.

सीता सोरेन का पत्र.

सीता सोरेन का यह पत्र मात्र कागज का टुकड़ा नहीं है. यह बता रहा है कि किस कदर सरकार अस्थिरता की ओर बढ़ रही है. मध्यप्रदेश समेत कई राज्यों में जिस तरह से राज्य में राजनीतिक संकट आया था, ठीक उसी तरह झारखंड में लाने की कोशिशें तेज हो चुकी है. वैसे झामुमो में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है, यह भी सर्वविदित है. झामुमो की सरकार जब झारखंड में बनी, उसके बाद से कई पदों से नेताओं को हटाया गया है. केंद्रीय कोषाध्यक्ष के पद से पहले रवि केजरीवाल को मुक्त किया गया था तो बाद में करीब 6 साल के लिए उनको झामुमो से निष्कासित कर दिया गया. इस तरह झामुमो के नेता ही आपस में गोलबंद होने लगे है और पार्टी की एकता तार-तार होती नजर आ रही है.

झामुमो के पहले हो चुके है टुकड़े
झामुमो में पहले भी टूट हो चुकी थी, लेकिन बाद में सारे नेता एक साथ आये तो पार्टी फिर से मजबूत हुई. पहली टूट सूरज मंडल के हटने के बाद हुई थी तो स्वर्गीय सुधीर महतो ने भी अपनी पार्टी बना ली थी. इसके बाद से पार्टी दो खेमे में बंट चुका था. बाद में कालांतर में गुरुजी शिबू सोरेन के नेतृत्वक्षमता ने पार्टी को एकजुट किया और फिर से जोड़ा, जिसके बाद पार्टी अब सत्ता पर आसीन है. सत्ता पर आने के बाद झामुमो में इस तरह की खींचतान शुभसंकेत नहीं है. हालांकि, खुद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस मुद्दे पर अब तक कुछ नहीं बोल रहे है.

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