जमशेदपुर : झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में भाजपा के विधायकों ने एक बार फिर से हंगामा किया. विधायकों ने विपक्ष का नेता और भाजपा विधायक दल का नेता के तौर पर बाबूलाल मरांडी को मान्यता नहीं देने के खिलाफ विधायकों ने जमकर नारेबाजी की. जयश्री राम समेत कई सारे नारे इन लोगों ने बताया. इन लोगों ने सदन की कुर्सी तक पहुंचकर हंगामा किया जबकि बार-बार आसन के पास जाकर विधायकों ने नारेबाजी की जबकि कई लोगों ने धरना भी दे दिया. इसके बाद पहले साढ़े बारह बजे सदन की कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया. दोपहर दो बजे के बाद भी जैसे ही सदन की कार्यवाही शुरू हुई, वैसे ही फिर से भाजपा के विधायकों ने हंगामा शुरु कर दिया. विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो हंगामा के बीच ही सदन की कार्यवाही को चलाते रहे. इस दौरान विधानसभा अध्यक्ष रवींद्रनाथ महतो ने भाजपा के विधायकों को कहा कि सदन न्याय जरूर करेगी, लेकिन भाजपा के विधायक हंगामा करते रहे. हाथों में तख्यियां लेकर ये लोग धरना देकर नारेबाजी करते रहे.हह इस दौरान सोमवार को राज्य सरकार द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट भी पेश किया. हंगामा के बीच ही विधानसभा अध्यक्ष ने सरकार के कई प्रस्तावों को रखा, जिसको पारित कर दिया. इसके बाद करीब आधे घंटे तक चली कार्यवाही के दौरान सभी प्रस्तावों को पारित करने के बाद दोपहर करीब ढाई बजे विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दिया. तीन मार्च को अब झारखंड सरकार की ओर से बजट पेश किया जायेगा. दूसरी ओर, जमशेदपुर पूर्वी के विधायक और पूर्व मंत्री सरयू राय ने विधानसभा के बजट सत्र के दौरान ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लाया. सरयू राय ने विधानसभा सत्र के दौरान जमशेदपुर के इंकैब इंडस्ट्रीज लिमिटेड (केबुल कंपनी) के वर्तमान स्थिति के बारे में ध्यानाकर्षण करवाते हुए उद्योग विभाग के कई सवाल पूछे. उन्होंने बताया कि ब्रिटिश कंपनी बीआइसीसी द्वारा 1920 में इंकैब की स्थापना की गई थी. कंपनी के लिए टिस्को (टाटा स्टील) ने उसे अपने हिस्से का 177 एकड़ जमीन दिया था. जमीन समझौते में यह बताया गया था कि जब इंकैब को जमीन की जरुरत नहीं रहेगी तो वह किसी को देने या बेचने से पहले स्थानीय सरकार से पूछेगी. हालांकि बाद में 1985 में बीइसीसी ने इंकैब को छोड़ दिया जिसके बाद 1985 से 1993 तक काशीनाथ तापुरिया ने वित्तीय संगठनों की पहल पर इसे चलाया. यह कंपनी भी दिवालिया हो गई. बाद में वित्तीय विभाग ने इंकैब को मॉरिसस की कंपनी मेसर्स लीडर्स युनिवर्सल को दे दिया. कंपनी को पुर्नजीवित करने के बजाय मॉरिशस की कंपनी ने इसकी स्थाई संपत्ति को हड़पना शुरु कर दिया. स्थिति यह हो गई कि कंपनी की देनदारी बढ़ती गई. इसके लिए किसी तरह की कानूनी कार्रवाई भी नहीं हुई. 7 फरवरी 2020 को एनसीएलटी ने इंकैब को नीलाम कर देनदारी चुकाने का आदेश दे दिया. सरयू राय ने मांग की है कि इंकैब को फिर से जीवित करने की जरुरत है, जिसके लिए झारखंड सरकार को आगे आना होगा. सरकार की औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन नीति-2016 प्रभावी है, जिसके तहत कंपनी को फिर से चालू किया जाए.