रांची: शुक्रवार को झारखंड स्पीकर न्यायाधिकरण में बाबूलाल मरांडी दल बदल मामले की सुनवाई हुई. बाबूलाल के अधिवक्ता आर एन सहाय ने पक्ष रखते हुए कहा कि याचिका देरी से डाली गयी है, इसलिए यह मामला वैद्य नहीं है. उन्होंने झारखंड विधानसभा की कार्यसंचालन नियमावली के नियम छह व सात का हवाला दिया. दलबदल मामले में सुनवाई के दौरान शिकायतकर्ता पूर्व विधायक राजकुमार यादव ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि बाबूलाल की जेवीएम से तीन विधायक जीते थे. इस मामले में दो तिहाई बहुमत के साथ ही किसी पार्टी का विलय हो सकता है, इसलिए बाबूलाल का विलय असंवैधानिक है. इसलिए उन्हें अयोग्य करार दिया जाए. इस मामले में अगली सुनवाई 9 मई को होगी, जिसमें बाबूलाल मरांडी के भाग्य का फैसला भी हो जाएगा.बाबूलाल के अधिवक्ता आरएन सहाय ने पक्ष रखते हुए कहा कि मरांडी ने प्रदीप यादव व बंधु तिर्की को पहले ही पार्टी से निष्कासित कर दिया था. जिसके कारण दोनों पार्टी के सदस्य नहीं थे तो पार्टी के किसी भी गतिविधियों में शामिल नहीं हो सकते थे. जिसके कारण बहुमत की कोई जरुरत नहीं है. राजकुमार यादव ने पूर्व के कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इस तरह के मामले दसवीं अनुसूची का मामला बनता है. जिसके कारण बाबूलाल की सदस्यता हर हाल में रद्द होनी चाहिए. अधिवक्ता आरएन सहाय ने कहा कि पूर्व विधायक राजकुमार यादव व भूषण तिर्की ने 10 महीने बाद इस मामले में शिकायत दर्ज करवाया है, जो संवैधानिक नहीं है. विधानसभा की नियमावली का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा प्रावधान है कि अधिक देरी से शिकायत दर्ज होने पर वैध नहीं माना जाएगा. वहीं कोर्ट में प्रीमिलरी ऑब्जेक्शन लेटर भी बाबूलाल के अधिवक्ता ने लेटर दिया है.दोनों ओर से दलील सुनने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने आज की सुनवाई को स्थगित कर दिया है. अगली सुनवाई की तिथि मुर्करर नहीं की गयी. दूसरी ओर बाबूलाल मरांडी के दल बदल मामले में 9 मई को बंधु तिर्की व दीपिका पांडेय की शिकायत पर सुनवाई होगी. इधर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने संवाददाता सम्मेलन कर कहा है कि इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष लगातार कानून के साथ छेड़छाड़ कर रहे है. हाईकोर्ट तक जब मामले में विधानसभा अध्यक्ष पर सवाल उठा चुका है, ऐसे में उनसे न्याय की उम्मीद नहीं है.