जमशेदपुर : वासंतिक नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू हो रही है. चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है. इस वर्ष चैत्र नवरात्र पूरे नौ दिनों का है, जो मंगलवार यानी 13 अप्रैल से शुरू होकर 21 अप्रैल तक रहेगा. इन नौ दिनों तक माता के भक्त माता के लिए व्रत पूजा पाठ आराधना के जरिए माता देवी को प्रसन्न करेंगे. मां के भक्त 21 अप्रैल को नवरात्र हवन कर 22 अप्रैल को व्रत का पारण करेंगें. नवरात्र को देखते हुए मंदिरों में तैयारी तेज कर दी गई है. प्रसिद्ध शक्तिपीठ लेहड़ा दुर्गा मंदिर समेत अन्य देवी मंदिरों में आवश्यक तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. हालांकि पिछले वर्ष की ही तरह इस बार भी कोरोना वायरस के कारण वासंतिक नवरात्र सादगीपूर्ण ही मनाया जायेगा. ऐसी उम्मीद की जा रही है कि मां कोरोना वायरस को हर लेगी और सभी भक्तों को आशीर्वाद देकर विदा होंगी. इस बार नौ दिनों तक मां की आराधना होगी. चैत्र मास की प्रथमा तिथि होने के कारण इस दिन वर्ष प्रतिपदा यानी हिंदू नववर्ष भी है. पंडितों व ज्योतिषियों की मानें, तो इस बार नवरात्र में देवी मां का आगमन घोड़े पर होगा. (नीचे भी पढ़ें)
इस दिन होगी घटस्थापना
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन 13 अप्रैल को कलश स्थापना की जाएगी. नवरात्रि में घटस्थापना या कलश स्थापना का खास महत्व है. विधिपूर्वक कलश स्थापना करने से इसका पूर्ण लाभ प्राप्त होता है.
13 अप्रैल प्रतिपदा- घट/कलश स्थापना-शैलपुत्री पूजा
14 अप्रैल द्वितीया- ब्रह्मचारिणी पूजा
15 अप्रैल तृतीया- चंद्रघंटा पूजा
16 अप्रैल चतुर्थी- कुष्मांडा पूजा
17 अप्रैल पंचमी- सरस्वती पूजा, स्कंदमाता पूजा
18 अप्रैल षष्ठी- कात्यायनी पूजा
19 अप्रैल सप्तमी- कालरात्रि, सरस्वती पूजा
20 अप्रैल अष्टमी- महागौरी, दुर्गा अष्टमी, निशा पूजा
21 अप्रैल नवमी- नवमी हवन, नवरात्रि पारण (नीचे भी पढ़ें)
नवरात्र पूजा विधि
चैत्र नवरात्र की प्रतिपदा तिथि को प्रात: काल स्नान करने के बाद आगमन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, अक्षत-पुष्प, धूप-दीप, नैवेद्य-तांबूल, नमस्कार-पुष्पांजलि एवं प्रार्थना आदि उपचारों से पूजन करना चाहिए. नवीन पंचांग से नव वर्ष के राजा, मंत्री, सेनाध्यक्ष, धनाधीप, धान्याधीप, दुर्गाधीप, संवत्वर निवास और फलाधीप आदि का फल श्रवण करें. निवास स्थान को ध्वजा-पताका, तोरण-बंदनवार आदि से सुशोभित करें. देवी के स्थान को सुसज्जित कर गणपति और मातृका पूजन कर घट स्थापना करें. लकड़ी के पटरे पर पानी में गेरू घोलकर नौ देवियों की आकृति बनाएं या सिंह वाहिनी दुर्गा का चित्र या प्रतिमा पटरे पर या इसके पास रखें. पीली मिट्टी की एक डली व एक कलावा लपेट कर उसे गणेश स्वरूप में कलश पर विराजमान कराएं. घट के पास गेहूं या जौ का पात्र रखकर वरुण पूजन और भगवती का आह्वान करें. (नीचे भी पढ़ें)
16 से चैती छठ शुरू : 16 अप्रैल से चैती छठ महापर्व शुरू हो जायेगा. चार दिवसीय छठ महापर्व के पहले दिन नहाय-खाय का अनुष्ठान होगा. इस दिन व्रत धारी प्रातः स्नान ध्यान कर भगवान आदित्यनाथ को अर्घ्य देंगे. बिना किसी विघ्न बाधा के पर्व संपन्न हो जाए इसके लिए कामना होगी. 17 अप्रैल को दूसरे दिन खरना का अनुष्ठान होगा. दिनभर व्रतधारी उपवास रखकर सूर्यास्त के बाद भगवान की पूजा अर्चना करेंगे. खीर, रोटी, केला आदि का नैवेद्य अर्पित कर सबकी मंगल कामना की प्रार्थना करेंगे. 18 अप्रैल को अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया जायेगा और 19 अप्रैल को उदीयमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के साथ ही चार दिवसीय छठ महापर्व का समापन हो जायेगा.