
शार्प भारत डेस्क : हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य देवता माना जाता है. किसी भी शुभ और मांगलिक कार्यक्रम में सबसे पहले गणेश जी की वंदना और पूजा की जाती है. भगवान गणेश बुद्धि, सुख-समृद्धि और विवेक के दाता माने जाते है. हिन्दू पंचाग के मुताबक भाद्रपद महीना भगवान गणेश की पूजा आराधना के लिए समर्पित है. भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से 10 दिनों तक चलने वाला गणपति उत्सव अनंत चतुर्दशी तिथि तक चलता है. इस वर्ष गणेश चतुर्थी 19 सितंबर को मनायी जायेगी. इस दिन घर घर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित किया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11 बजकर 7 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक रहेगा.
जानें चतुर्थी तिथि – भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 18 सितंबर को दोपहर 02 बजकर 9 मिनट पर होगी. वहीं 19 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 13 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त हो जायेगी. ऐसे में उदय तिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी और 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव की शुरुआत 19 सितंबर को रहेगी.
स्थापना का शुभ मुहूर्त – गणेश प्रतिमा स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 सितंबर को सुबह 11 बजकर 7 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक रहेगा. (नीचे भी पढ़ें)

पूजा की विधि – पूजा के दौरान दूर्वा, लड्डू, हल्दी, पुष्प अक्षत को जरूर शामिल करें. इस दिन सुबह उठकर स्थान करें और शुभ मुहूर्त देखकर पूजा प्रारंभ करें. इसके साथ ही शुभ मुहूर्त पर ही गणपति की स्थापना करें. इस दौरान सबसे पहले अपने घर के उत्तर भाग, पूर्व भाग या पूर्वोत्तर भाग में गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें. वहीं गणेश जी आराधना केवल दूर्वा से ही करें. कलश में जल भरकर और उसके बाद दिया जलाये. इसके पश्चात अपने ऊपर जल छिड़कते हुए ऊं पुंडरीकाक्षाय नम: बोलते हुए भगवान विष्णु को प्रणाम करें और माथे पर तिलक लगाएं. ऊं गं गणपतये नम: का भी उच्चारण करें. इन मंत्रों से पूजा संपन्न होगी. इसके बाद हाथ में पुष्प अक्षत लिये गणेश जी की ध्यान करें. इसके बाद गणेश जी को जनेऊ, अक्षत, धूप, दीप, नैवेद्य, फल, फूल समेत अन्य सामग्री चढ़ाये. अंत में गणेश जी की आरती करें और पुष्पांजलि अर्पित करें.