गुरु तेग बहादुर सिंह सिखों के नौंवें गुरु थे. जिन्होंने लोगों के हक के लिए अपना बलिदान दिया था. वें मात्र 14 साल के थे तब से ही अपने पिता गुरु हरगोबिंद सिंह के साथ मुगल के साथ हुए युद्ध का हिस्सा होते थे. तब से उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार की धनी रख दिया था. उन्होंने अपनी शिक्षा हरिगोबिंद साहिब से लिया था. वें बचपन से ही गुरुबाणी, धर्मग्रंथों और शस्त्रों की शिक्षा प्राप्त की थी. सिखों के 8वें गुरु हरिकृष्ण राय जी की अकाल मृत्यु के बाद गुरु तेग बहादुर जी को गुरु बनाया गया था. भारत वर्ष में 24 नवंबर 1675 को दिल्ली के चांदनी चौक में मुगल बादशाह औरंगजेब ने उनकी हत्या कर दी थी. तब से लेकर उस दिन को तेग बहादुर सिंह जी को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है. एक समय का बात था जब औरंगजेब भारत को इस्लामिक राष्ट्र में परिवर्तित करना चाहता था, इसके लिए उसने हिन्दुओं के कशमीरी पंडितों पर दबाव डालना शुरू किया. तब उन लोगों ने गुरु तेग बहादुर की सहायता ली. उन्हें भी पंडितों की तरह इस्लाम धर्म बनाने पर जोड़ डाला गया. जब उन्होंने इस्लाम धर्म कबूल करने से मना किया तो उन्हें पांच दिनों तक शारीरिक यातनाएं दी गई. गुरुजी के अनुयायियों को उनके सामने जिंदा जला दिया गया. अंत में गुरु जी को भी चंदनी चौक पर उनका शीश काट दिया गया.