जमशेदपुर : दशमी के पूजन के साथ ही मां की आराधना संपन्न हो जाती है । मां की आराधना संपन्न होते ही मां को विदा करने की परंपरा है । वैसे शहर के पंडाल और मंदिरों में भक्तों का हुजूम उमड़ पड़ा। (नीचे भी पढ़ें)
सुहागिन महिलाओं ने मां को सोलह सिंगार कर सिंदूर चढ़ा अपने अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद प्राप्त किया । वैसे बंगाली समुदाय की महिलाएं एक ही कलर की साड़ी पहन मां के दरबार पहुंची और सिंदूर चढ़ाकर मां से आशीर्वाद मांगा। ऐसी मान्यता है कि जैसे बेटी को विदा करते हैं ठीक उसी तरह मां को विदा किया जाता है। (नीचे भी पढ़ें)
मां को सोलह सिंगार कर सिंदूर दे और खुद एक दूसरे के सिंदूर लगा अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद प्राप्त करती है । ढोल नगाड़े के साथ सिंदूर खेला खेलकर महिलाओं ने मां की आराधना की।