घाटशिला : दुर्गा पूजा के अवसर पर आदिवासी समाज के युवाओं द्वारा हर वर्ष गांव-गांव में दासाय नृत्य करने का रिवाज है. दासाय नृत्य समाज की संस्कृति से जुड़ा हुआ है. परंतु यह नृत्य दिन-प्रतिदिन विलुप्त होता जा रहा है. समाज के युवा आज आधुनिकता के दौर में अपनी संस्कृति और पहचान खोते जा रहे हैं. दुर्गा पूजा के अवसर पर यह नृत्य गांव-गांव में देखने को मिलता था, परंतु अब दासाय नृत्य प्राय: विलुप्त सा हो गया है.
अनुमंडल के एक-आध गांव में ही दासाय नृत्य देखने को मिल रहा है. संताल समाज के रिवाज के अनुसार दुर्गोत्सव से पहले दासाय नृत्य प्रारम्भ करते हैं. समाज के युवा गांव-गांव में भ्रमन कर नाचते हैं और उसके बदले में लोग धान, चावल आदि का दान देते हैं. आदिवासियों का मान्यता है कि उनका वीर आयनम, काजल, देवी, दुर्गा को विदेशी हुकूमत द्वारा अपहरण किया गया था. उन्ही के खोज में समाज के युवा छंद वेशभूषा में सज धज कर इस तरह गांव-गांव में जाकर भ्रमन कर नृत्य करते हुए उनकी खोज करते हैं. नृत्य दल में शामिल युवा माथे पर मोर पंख बांध कर और साड़ी पहन कर दासाय नृत्य करते हैं.