Jyeshta month – ज्येष्ठ मास शुरू, इन बातों का अवश्य रखे ध्यान, भूलकर भी ना करें ये काम, ज्योतिषाचार्य से जाने हनुमान को कैसे करें प्रसन्न

राशिफल

शार्प भारत डेस्क : ज्येष्ठ मास हनुमानजी की पूजा-भक्ति का मास होता है क्योंकि इसी मास में हनुमानजी की भेंट प्रभु श्रीराम से हुई थी. इस मास में सूर्य की तपन उच्च होती है, बड़ी होती है, इसीलिए इस मास का नाम ज्येष्ठ है. इस मास में जल संरक्षण का सर्वाधिक महत्व बताया गया है. ज्येष्ठ मास में अनेक बड़े व्रत-त्योहार, पर्व आएंगे. ज्येष्ठ मास के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि इस मास में दोपहर के समय धूप में चलना, यात्रा करना, खेलना वर्जित रहता है क्योंकि सूर्य अपने उग्र रूप में रहता है. यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है. इस मास में अधिक से अधिक शयन करना चाहिए. इस मास में बेल का रस पीना स्वास्थ्यर्द्धक होता है. इस मास में गर्मी करने वाली वस्तुएं जैसे लहसुन आदि खाने की मनाही रहती है. ज्येष्ठ मास में परिवार के सबसे बड़े पुत्र या पुत्री का विवाह नहीं किया जाता है. ज्येष्ठ मास में एक समय भोजन करने वाला निरोगी रहता है. (नीचे भी पढ़ें)

हनुमान जी को ऐसे करें प्रसन्न-
शास्त्रों के अनुसार ज्येष्ठ माह में हर मंगलवार बेहद खास होता है. इस दिन हनुमान जी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. कहते हैं कि इस माह में पैसों का लेन-देन करने से भी बचना चाहिए. मंगलवार के दिन पैसों का लेन-देन करने से आर्थिक स्थिति पर प्रभाव पड़ता है. (नीचे भी पढ़ें)

ज्येष्ठ के प्रमुख व्रत-पर्व

6 मई : नारद जयंती
8 मई : संकट चतुर्थी व्रत
12 मई : कालाष्टमी, पंचक प्रारंभ रात्रि 12:16 से
15 मई : अपरा एकादशी
17 मई : प्रदोष व्रत, मासशिवरात्रि, पंचक समाप्त प्रात: 7:38 पर
19 मई : भावुका दर्श अमावस्या, शनि जयंती, वटसावित्री व्रत
22 मई : रंभा तृतीया
23 मई : श्री विनायक चतुर्थी व्रत
25 मई : अरण्य षष्ठी, विंध्यवासिनी पूजा
29 मई : महेश नवमी
30 मई : गंगा दशहरा, बटुक भैरव जयंती
31 मई : निर्जला एकादशी
1 जून : प्रदोष व्रत
4 जून : जेठी पूर्णिमा व्रत, वट सावित्री पूर्णिमा

spot_img

Must Read

Related Articles

Don`t copy text!