शार्प भारत डेस्क : देशभर में मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाया जाता है. वहीं लगातार पांच वर्षों से इसके तारीख को लेकर लोगों में अपमंजस की स्थिति बनी रहती है. कहा जाता है सूर्य देव जब मकर राशि में प्रवेश करते है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है. इसे देश के अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न नामों से जाना जाता है. लोगों में यह दुविधा बनी हुई है कि मकर संक्रांति 14 जनवरी को है या 15 जनवरी को. हिन्दू पंचांग के मुताबिक 14 जनवरी (शनिवार) को सूर्य देव रात 8 बजकर 14 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे. उदिया तिथि के कारण 15 जनवरी को ही मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाएगा. पुरोहितों के मुताबिक रात्रि में स्नान, दान का कार्य नहीं किया जाता है.
जानें क्या है संक्रांति का शुभ मुहूर्त-
उदिया तिथि को देखते हुए इस बार मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाया जाएगा. जो सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम के 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा. इस अवधि में स्नान, दान-धर्म के कार्य को शुभ माना गया है. इसी के साथ अभिजीत मुहूर्त दोपहर के 12 बजकर 09 मिनट से लेकर 12 बजकर 52 मिनट तक रहेगा. वहीं विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 16 मिनट से 2 बजकर 58 मिनट तक रहेगा.
मकर संक्रांति की कथा
मान्यता है कि इस दिन असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है. बताया गया है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदिरा पर्वत पर गाड़ दिया था. तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रान्ति पर्व के तौर पर मनाया जाता है. वहीं अन्य कथा के अनुसार इस दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते है. यह पर्व खास कर पिता-पुत्र के अनोखे प्रेम को भी दर्शाता है.