शार्प भारत डेस्कः शारदीय नवरात्र का अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. इस दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना की जाती है. मां सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान रहती है और इनकी चार भुजाएं है. जिसमें वह शंख, गदा,कमल का फूल तथा चक्र धारण किये है. सिद्धिदात्री को देवी सरस्वती का स्वरूप भी माना जाता है. मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना कर हवन किया जाता है. जिसके पश्चात कुवारी कन्याओं की पूजा की जाती है.
पौराणिक मान्यता-
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने सभी प्रकार की सिद्धियों को पाने के लिए देवी सिद्धिदात्री की उपासना की थी. तब देवी ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी को सभी सिद्धियां दी. तब शिव जी का आधा शरीर देवी सिद्धिदात्री का हो गया. जिसके बाद शिव जी को अर्धनारीश्वर कहा गया.
शुभ मूहुर्त-
नवमी 13 अक्टूबर (बुधवार) की रात 08 बजकर 09 मिनट से प्रारंभ होकर 14 अक्टूबर (गुरुवार) को शाम 06 बजकर 52 मिनट पर समाप्त होगी. इसलिए नवमी का पूजन गुरुवार को किया जाएगा. (नीचे भी पढ़ें)
मां सिद्धिदात्री के मंत्र-
वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥
सिद्धगंधर्वयक्षाद्यै:, असुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात्, सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।
मां सिद्धिदात्री की आरती-
जय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता ।
तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ।।
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि ।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ।।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम ।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ।।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है ।
तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है ।।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो ।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ।।
तू सब काज उसके करती है पूरे ।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे ।।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया ।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ।।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली ।
जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली ।।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा ।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ।।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता ।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता ।।