ज्योतिषाचार्य पंडित राजेश पाठक / जमशेदपुर : रक्षाबंधन का दिन भाई व बहनों का पर्व होता है. आप सबों को रक्षा बंधन की ढेर सारी शुभकामनाएं व हार्दिक बधाई. आज हम सब रक्षाबंधन के तिथि व जब से सृष्टि की रचना हुई और ज्योतिष ग्रंथ का उदय हुआ है संभवतः पूर्व समय से ही भद्रा का वास पूर्णिमा के पूर्व भाग में होता है. एक तिथि के दो भाग होते हैं, जिसे ज्योतिषिय भाषा में करण कहा जाता है. इस वर्ष सावन पूर्णिमा लगभग 20 से 21 घंटे की है. 11 अगस्त गुरुवार दिन 10 बजकर 39 मिनट से 12 अगस्त प्रातः 7:06 तक है. पूर्णिमा के प्रथम करण में भद्रा वास सदैव रहता है, मतलब लगभग 10 घंटे कुछ मिनट यानी कि 10:59 से 20:50 तक. सृष्टि आरंभ से लेकर अब तक सावन पूर्णिमा को श्रवण नक्षत्र का पूर्ण तथा धनिष्ठा नक्षत्र का कुछ भाग का भोग होता आ रहा है. श्रवण नक्षत्र का स्वामी ग्रह शनि को माना जाता है और पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा सूर्य देव की पुत्री यमराज और शनिदेव की सगी बहन मानी जाती है. सावन पूर्णिमा के दिन रक्षाबंधन का संबंध श्रवण नक्षत्र और भद्रा से सृष्टि आरंभ से ही है. (नीचे भी पढ़ें)
ऐसा प्रतीत होता है कि इस दिन भद्रा अपने भाई शनि को रक्षाबंधन करने हर वर्ष आती है और अगले महीने भाद्र पूर्णिमा तक अपने भाई शनि के घर व नक्षत्र शतभिषा व पूर्वाभाद्रपद पर निवास करती है. अगर ऐसे कालचक्र में भद्रा का कोई दोष होता तो निश्चित ही हमारे गुरुजन पौराणिक पूजनीय ज्योतिष ग्रंथ के रचयिता ऋषि मुनि आदि आज के दिन रक्षाबंधन पर्व को निर्धारित ही नहीं करते. रक्षा बंधन पर्व को ही क्यों अन्य पर जो पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है. सभी को वर्जित करते क्योंकि प्रत्येक पूर्णिमा तिथि के प्रथम चरण में भद्रा दोष तो निश्चित है. चैत्र पूर्णिमा को हनुमान जयंती, बैसाख पूर्णिमा को बुद्ध जयंती, ज्येष्ठ में वट सावित्री व्रत आषाढ़ में गुरु पूजन सावन में रक्षाबंधन भादो में उमा महेश्वर व अश्वनी में शरद पूर्णिमा कार्तिक में पुष्कर मेला मार्गशीर्ष में दत्तात्रेय जयंती, पौष में त्रिवेणी संगम स्नान व शाकंभरी जयंती मार्ग में भैरव जयंती और संगम स्नान तथा फाल्गुन में होली पर यह सभी पूर्णिमा को ही होती है. सभी पर भद्रा दोष का ग्रहण मानकर सभी को वर्जित कर देते परंतु ऐसा नहीं है क्या इन सभी व्रत पर्व जयंती आदि में भद्रा का दोष नहीं लगता. भद्रा दोष होलिका दहन और रक्षाबंधन में ही लागू होता है. (नीचे भी पढ़ें)
ज्योतिष शास्त्र में भद्रा से संबंधित कहा जाता है कि भद्रा के निवास के समय रक्षाबंधन करने से राजा और होलिका दहन से प्रजा का नाश होता है. लोकतांत्रिक देश में सबका बराबर अधिकार होता है, कोई विशेष राजा नहीं होता, जब राजा है ही नहीं अब तो नाश किसका? सृष्टि आरंभ से ही सावन पूर्णिमा के दिन मकर राशि श्रवण नक्षत्र का भोग होता है. आजकल की बात नहीं है अगर आज के दिन रक्षाबंधन पर्व को पूर्ण करने के शास्त्र आदेश प्राप्त होता है तो निश्चित ही काफी विचार बाद ही या नियुक्त किया गया होगा शास्त्र का कहना है कि आज के दिन भद्रा का अशुभ प्रभाव पाताल या नागलोक पर रहता है. इसलिए पृथ्वी लोक पर किए गए कार्य शुभ फलदायक व धन लाभ कारक साबित होता है यह उपरोक्त वाक्य सत्य है. असत्य नहीं हो सकती अजमा कर दें 11 अगस्त गुरुवार को रक्षाबंधन उपरांत ही सभी बहनों को धन का तथा सभी भाईयों को आत्मविश्वास खुशी और संतुष्टि का तत्काल ही लाभ प्राप्त होगा. अधिक संतुष्टि के लिए संध्या 5:18 से 06:20 लगभग तक भद्रा के पुच्छ काल में या भद्रा समाप्ति पर रक्षाबंधन को पूर्ण करें.