सरायकेला : दुर्गा पूजा के अवसर पर आयोजित होने वाली सदियों से चली आ रही राज परिवार की पारंपारिक खंडाधुआ पूजा राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव के नेतृत्व में रविवार को संपन्न हुई. बता दें कि महासप्तमी के दिन सरायकेला राजपरिवार में खंडाधुआ पूजा का आयोजन किया जाता है. इसमें राजपरिवार के लोग अपने-अपने पारंपारिक अस्त्र को मजना घाट ले जाते हैं, जहां विधिवत पूजा- अर्चना कर अस्त्र की साफ-सफाई कर वन देवी का आह्वान करते हुए दुर्गा पूजा करते हैं. उसके बाद राजपरिवार के सदस्य अस्त्र को लेकर आते हैं और राजमहल के शस्त्रगार में पूजा- अर्चना कर उसे रखते हैं. (नीचे भी पढ़ें)
इसके पश्चात राजपरिवार के लोग राजमहल के बाहर स्थित पब्लिक दुर्गा मंदिर में मां दुर्गा की पूजा- अर्चना करते है. परंपरा को निभाते हुए सप्तमी के दिन शुक्रवार को राजा प्रताप आदित्य सिंहदेव के नेतृत्व में राजपरिवार के सदस्य गाजे- बाजे के साथ खरकई नदी स्थित मजना घाट पहुंचे. जहां अस्त्र की साफ- सफाई कर वन देवी का आहवान करते हुए विधिवत पूजा की गई. पूजा संपन्न होने पर राज परिवार के सदस्य राजमहल स्थित शस्त्रागार पहुंचे और पूजा- अर्चना की. यहां से राजपरिवार के सदस्य पब्लिक दुर्गा मंदिर गये और उन्होंने विधिवत मां का पूजा- अर्चना का शुभांरम किया. इसके साथ ही पब्लिक दुर्गा मंदिर में मां दुर्गे की पूजा- अर्चना आरंभ हुई. इस मौके पर काफी संख्या में श्रद्वालु उपस्थित थे. (नीचे भी पढ़ें)
परंपरा के अनुसार राज परिवार के सदस्यों द्वारा मां दुर्गा के चरणों में समर्पित किए गए शास्त्र विजयदशमी को अपराजिता पूजन के पश्चात उठाया जाएगा. पूजा के इन तीन दिनों के दौरान राज परिवार के सभी सदस्य कितनी भी विषम परिस्थितियों में भी किसी प्रकार का शस्त्र नहीं उठाते हैं. परंपरा के अनुसार इस दौरान राज परिवार क्रोध नहीं करते हैं. यहां तक कि अपने बाल और दाढ़ी भी नहीं बनाते हैं. खंडाधुआ पर मां दुर्गा के चरणों में शस्त्र रखकर मानव एवं प्राणियों की सुरक्षा के लिए तथा दुश्मनों और असामाजिक तत्वों के विनाश के लिए शस्त्रों में मां दुर्गा से शक्ति की मंगल कामना की जाती है.