जमशेदपुर : वारुणी पर्व आज मध्यरात्रि 3:16 मिनट से आरंभ हो रहा है, जिसका 9 अप्रैल की सुबह 4:57 बजे तक योग रहेगा. वहीं विभिन्न पंचागों के अनुसार भोर 4:08 बजे से प्रातः 5:52 बजे तक वारुण योग का शुभ मुहुर्त रहेगा. पुराणों में ऐसा माना जाता है इस दिन समुद्र मंथन में बेशकीमती रत्न मिले थे. इन रत्नों में 14 तरह के रत्न खास थे. सबसे पहले हलाहल विष, कामधेनु, उच्चैःश्रवा घोड़ा, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, अप्सरा रंभा, लक्ष्मी, चंद्रमा, पारिजात वृक्ष, शंख, धन्वंतरि वैद्य और अमृत निकला था. जल से उत्पन्न होने के कारण उसे वारुणी का नाम दिया गया है. वारुणी का अर्थ होता है जल. वरुण की पत्नी को वरुणी कहते हैं. ऐसा माना गया है कि यह समुद्र से निकली मदिरा की देवी के रूप में प्रतिष्ठित हुई और वही वरुण देवी की पत्नी वारुणी बनी. इस दिन नए काम की शुरूआत की जाती है. नए काम की शुरूआत करने से हर तरफ से सफलता मिलती है. इस दिन तीर्थ स्थल पर जा कर स्नान किया जाता है. वहीं वरुणी योग में गंगा, यमुना नर्मदा, कावेरी, गोदावरी समेत अन्य पवित्र नदियों में स्नान और दान का विशेष महत्व होता है. इस पर्व को कृष्णपक्ष की त्रयोदशी तिथि पर वारुणी की पूजा की जाती है. वहीं पृथ्वी पर गर्मियों में जल की कमी न हो इसके लिए इस दिन सूर्यदेव से अराधना की जाती है.
varuni-festival-2021 : जानें वारुणी पर्व का महत्व, स्नान-दान का विशेष फल व शुभ मुहूर्त
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