शार्प भारत डेस्क : वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को रखा जाता है. इस बार वट सावित्री 30 मई (सोमवार) को रखा जाएगा. वैसे तो वट सावित्री में मां लक्ष्मी व भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, परंतु सोमवार दिन होने से भगवान भोलेनाथ की पूजा का फल भी प्राप्त होगा. ये व्रत केवल सुहागिन महिलाएं करती है. सुहागिनों द्वारा सोलह सिंगार करके वट सावित्री का व्रत रखती है. इस दिन सुहागिनें सुहाग का सामान लेकर, बरगद के पेड़ के पास जाकर बरगद के वृक्ष की पूरी निष्ठा के साथ पूजा करती है. पूजा के बाद सावित्री और सत्यवान की का सुनती है. इसमें सावित्री के सतीत्व की कथा है. वट सावित्री के दिन सुकर्मा योग बन रहा है. जो बेहद शुभ माना जाता है. सुकर्मा योग सुबह से लेकर रात 11.39 बजे तक रहेगा. (नीचे भी पढ़ें)
सावित्री की कथा-
ऐसा कहा जाता है कि एक बार जब यमराज ने सावित्री के पति सत्यवान के प्राण हर लिए तो देवी सावित्री ने यमराज से प्रार्थना की कि वह उनके पति को पुन: जीवित कर दे. इस पर यमराज ने कहा कि यह प्रकृति का नियम है, जो व्यक्ति पैदा होता है, वह मरता ही है. इसलिए मैं इस नियम का उल्लंघन नहीं कर सकता. फिर सावित्री ने तप किया और यमराज से प्रार्थना की. जिससे यमराज ने उन्हें वरदान मांगने को कहा जिसमें सावित्री ने अपने नेत्रहीन सास ससुर के लिए यमराज से नेत्र मांगे. फिर यमराज ने तथास्तु कहकर आगे बढ़ गए. तो सावित्री ने उनका पीछा किया. यमराज ने पूछा कि तुम पीछा क्यों कर रही हो. तब सावित्री ने कहा कि मैं अपने पति के बिना रह सकती. इसलिए आपने जहां मेरे पति को ले जा रहे हैं, वहीं मुझे भी लेकर जाए. फिर उन्होंने बहुत समझाया फिर भी वह नहीं मानी. यमराज ने फिर उनसे कहा कोई वरदान मांगने को. सावित्री ने अपने ससुर का राज्य वापस पाने की प्रार्थना की. यमराज फिर तथास्तु बोलकर आगे बढ़ गए. सावित्री फिर उनके पीछे-पीछे चलने लगी. कुछ दूर जाकर यमराज ने फिर सावित्री को अपने पीछे आते देखा. तो उसने कहा कि इस तरह का हठ करने से कोई फायदा नहीं. मैं प्रकृति के नियम को नहीं तोड़ सकता. इसलिए तुम्हारे पति को जीवनदान नहीं दे सकता. तुम यहां से वापस लौट जाओ. सावित्री के मना करने पर यमराज ने उन्हें एक और वरदान मांगने को कहा. तो सावित्री ने कहा कि मुझे 100 पुत्र होने का वरदान दीजिए. इस पर फिर यमराज ने तथास्तु कहा और जाने लगे तो सावित्री ने उन्हें रोका. कहा महाराज अगर आप मेरे पति का प्राण लेकर जाएंगे, तो बिना पति के मैं सौ पुत्रों की मां कैसे बनेगी. आपका आशीर्वाद खंडित हो जाएगा. यमराज ने सावित्री की चतुराई से चकित रह गए और उन्होंने सत्यवान को जीवित कर दिया.
वट सावित्री की तिथि
अमावस्या तिथि प्रारंभ- 29 मई को दोपहर 2.54 बजे से
अमावस्या तिथि समाप्ति – 30 मई को शाम 4.59 बजे तक
वट सावित्री तिथि- 30 मई सोमवार
पूजा सामग्री-
वट सावित्री में प्रयोग होने वाली सामग्री में लाल कलावा या मौली का सूत, बांस का पंखा, बरगद के पत्ते, लाल वस्त्र बिछाने के लिए, कुमकुम या रोली, धूप-दीप, पुष्प, फल, जल भरा हुआ कलश, सुहाग का सामान, चना और मूंगफली के दाने होना जरूरी है.