जमशेदपुर : जमशेदपुर के खेल के इतिहास के लिए ऐतिहासिक दिन गणतंत्र दिवस 26 जनवरी 2022 साबित हुआ. यहां वर्षों से टाटा स्टील और झारखंड बैडमिंटन एसोसिएशन (जेबीए) के बीच करीब 12 साल से भी अधिक समय से चला आ रहा विवाद समाप्त हो गया. इसकी अधिकारिक घोषणा गुरुवार को जमशेदपुर के जेआरडी टाटा स्पोटर्स कांप्लेक्स में टाटा स्टील के वाइस प्रेसिडेंट चाणक्य चौधरी और झारखंड बैडमिंटन एसोसिएशन के महासचिव प्रभाकर राव ने संयुक्त रुप से आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहीं. इस मौके पर टाटा स्टीरल के चीफ प्रोटोकॉल एंड स्पोटर्स फरजान हिरजी समेत अन्य पदाधिकारी मौजूद थे. इस दौरान यह बताया गया कि टाटा स्टील और झारखंड बैडमिंटन एसोसिएशन एक साथ मिलकर अब मोहन अहुजा स्टेडियम का निर्माण भी करेगा और बैडमिंटन के विकास के लिे भी काम करेगा. इसके लिए एक बैडमिंटन डेवलपमेंट एंड एडवाइजरी कमेटी का भी गठन कर दिया गया है, जिसमें सात लोग टाटा स्टील और झारखंड बैडमिंटन एसोसिएशन के होंगे. इस दौरान यह बताया गया कि बैडमिंटन खिलाड़ियों को आगे लाने के लिए यह कमेटी काम करेगी और मोहन अहुजा स्टेडियम हो या फिर टाटा स्टील का अपना बैडमिंटन सेंटर दोनों का चहुमुखी विकास होगा और एक ऐसा संसाधन विकसित किया जायेगा, जहां विश्वस्तरीय व्यवस्था किया जा सके. वर्तमान में टाटा स्टील के बैडमिंटन सेंटर और झारखंड बैडमिंटन एसोसिएशन के कुल 210 खिलाड़ी है, जो ट्रेनिंग लेते है. वीपी चाणक्य चौधरी और बैडमिंटन एसोसिएशन के प्रभाकर राव ने बताया कि हम दोनों काफी खुश है और इस आपसी समझौता हो जाने से बैडमिंटन का विकास हो सकेगा. प्रभाकर राव और चाणक्य चौधरी ने बताया कि अगर कोई विवाद होता है तो उसका असर जरूर सभी चीजों पर जरूर पड़ता है. लेकिन अब सारी चीजें ठीक हो जायेगी. वीपी सीएस ने बताया कि चाहे बिजली का बकाया का मामला हो, लीज का मामला हो या फिर कोर्ट में लंबित केस का मामला, हर मामले को लेकर चीजें सेटल हो चुकी है और आहिस्ता-आहिस्ता दोनों बड़ी संस्था मिलकर बैडमिंटन का विकास कर सकेगी. आपको बता दें कि करीब 12 साल से टाटा स्टील और झारखंड बैडमिंटन एसोसिएशन के बीच विवाद हो गया था. 12 साल में मोहन अहुजा की बिजली कट गयी थी. उसके छत डैमेज हो चुके थे. लीज का समय पूरा हो गया था. सारी चीजें तहस-नहस हो चुका था, जिसके बाद अब यह मसला सुलझ गया है. एक तरह से यह जमशेदपुर ही नहीं बल्कि झारखंड के बैडमिंटन खेल के इतिहास में बेहतर मील का पत्थर साबित होगा. टाटा स्टील के वीपी ने बताया कि विवाद समाप्त हो गया है. दिमाग से हम लोग एक साथ है. पेपर पर सिर्फ एमओयू है, लेकिन दिल भी मिलेगा और बेहतर काम भी होगा, जिसको हर कोई गवाह बनेगा.(नीचे देखे पूरी खबर)
बैडमिंटन कोर्ट की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ होगा टाटा स्टील सेंटर और मोहन अहुजा का विकास
वीपी चाणक्य चौधरी ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि टाटा स्टील द्वारा अपने द्वारा संचालित बैडमिंटन सेंटर का विकास किया जा रहा है, जहां तीन कोर्ट है. वहां एस्ट्रो टर्फ लगाया जाये या लकड़ी का कोर्ट लगाया जाये, इस पर विचार हो रहा है. इसके अलावा पैवेलियन से लेकर छत से लेकर तमाम चीजों को दुरुस्त किया जायेगा. नये रुप में इसको विकसित करने का काम पहले से ही चल रहा है. यह ऐतिहासिक समझौता आपस में हुआ है. बैडमिंटन कोर्ट मोहन अहुजा और टाटा स्टील के सेंटर को मिलाकर 6 कोर्ट हो रहे है. चूंकि आसपास के इलाके में काफी खाली जगह भी है, इस कारण यह कोशिश की जायेगी कि ओपन कोर्ट भी बनाया जाये और अगर जरूरत होगी तो अलग से भी इनडोर कोर्ट बनाया जा सकता है. मोहन अहुजा को भी नये सिरे से विकसित करने का प्लान अब तैयार होगा.
चार माह तक टाटा स्टील और प्रभाकर राव लगे रहे, तब हुआ समझौता
इस समझौता के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में प्रभाकर राव और फरजान हिरजी ने बताया कि करीब चार माह तक हर चीजों पर बातचीत की गयी. इसमें टाटा स्टील के फरजान हिरजी, झारखंड बैडमिंटन एसोसिएशन के कोच विवेक कुमार, टाटा स्टील स्पोटर्स विभाग के हेड मुकुल कुमार, हेड आशीष कुमार, हरभजन सिंह समेत अन्य लोगों ने लगातार बैठके की. कानूनी पहलुओं को देखा, सारी चीजों को लेकर लगातार बातचीत हुई और फिर एमओयू तक बातें हुई. उन्होंने बताया कि हालात पहले से और बेहतर होंगे और खेल के रुप में इसको विकसित किया जायेगा.